तालिबान में आत्मघाती हमला, 14 नेपाली सुरक्षाकर्मियों की मौत
काबुल : तालिबान के एक आत्मघाती बम हमलावर ने काबुल में एक मिनीबस को निशाना बनाकर इसमें सवार 14 नेपाली सुरक्षाकर्मियों को मार डाला. वाशिंगटन द्वारा अमेरिकी सेना की ओर से चरमपंथियों पर हमला करने के अधिकार को विस्तार दिए जाने के बाद से यह पहला ऐसा हमला है, जिसकी जिम्मेदारी ली गई है.... पुलिस […]
काबुल : तालिबान के एक आत्मघाती बम हमलावर ने काबुल में एक मिनीबस को निशाना बनाकर इसमें सवार 14 नेपाली सुरक्षाकर्मियों को मार डाला. वाशिंगटन द्वारा अमेरिकी सेना की ओर से चरमपंथियों पर हमला करने के अधिकार को विस्तार दिए जाने के बाद से यह पहला ऐसा हमला है, जिसकी जिम्मेदारी ली गई है.
पुलिस ने कहा कि काबुल से जलालाबाद शहर की ओर जाने वाले मुख्यमार्ग पर यह हमला सुबह छह बजे से पहले किया गया. हमलावर पैदल आया था. गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरुप 14 विदेशी मारे गए. ये सभी नेपाल के नागरिक थे.” मंत्रालय ने कहा कि वह इस हमले की ‘कडी निंदा’ करता है.
नाम उजागर न करने की शर्त पर एक सुरक्षा अधिकारी ने एएफपी को बताया कि ये सुरक्षाकर्मी काबुल में पश्चिमी देशों के दूतावासों को सुरक्षा उपलब्ध करवाने वाली कंपनी के कर्मचारी थे. मंत्रालय ने कहा कि पांच नेपाली और चार अफगान लोगों समेत नौ अन्य लोग घायल हो गए थे. विस्फोट की आवाज पूरे काबुल में सुनी जा सकती थी . जलालाबाद मार्ग पर विस्फोट वाले स्थान से धुंए का गुबार उठते देखा गया. इस मुख्य मार्ग पर कई विदेशी परिसर और सैन्य प्रतिष्ठान हैं.
एएफपी के एक पत्रकार ने कहा कि दो दर्जन से ज्यादा एंबुलेंसे मौके पर पहुंच गई थीं और पुलिस ने सडक को अवरुद्ध कर दिया था. विस्फोट स्थल के पास की दुकानों को भी नुकसान पहुंचा था. खिडकियों के शीशे चटक गए थे.तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्ला मुजाहिद ने सोशल मीडिया पर इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमला अफगानिस्तान पर ‘‘आक्रमण करने वाले बलों के खिलाफ” है.
इस हमले से कुछ ही दिन पहले वाशिंगटन ने अमेरिकी सेना के अधिकार को विस्तार देते हुए उसे तालिबान के खिलाफ हवाई हमले करने का अधिकार दिया था. इससे उन अफगान बलों को प्रमुख तौर पर बढावा मिला, जिनकी अपनी वायु क्षमताएं बेहद सीमित हैं.
रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत के बाद से राजधानी में यह पहला हमला है. तालिबान ने सरकार की ओर से घोषित एक माह के संघर्षविराम के आह्वान को खारिज कर दिया है.अफगान राजधानी में पिछला हमला 19 अप्रैल को किया गया था. इसमें 64 लोग मारे गए थे और 340 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस हमले की भी जिम्मेदारी तालिबान ने ही ली थी.
वर्ष 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद एक बार फिर सिर उठाने वाले आतंकी पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ लडते रहे हैं.हाल के हफ्तों में उन्होंने अपने हमले तेज कर दिए हैं. पिछले माह उन्होंने अपने पूर्व नेता मुल्ला अख्तर मंसूर के मारे जाने के बाद हेबतुल्ला अखुंदजादा को अपना नया नेता बनाया था. मंसूर पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था.
वर्ष 2015 की शुरुआत से ही अमेरिकी बल अफगानिस्तान में परामर्शदाता की भूमिका में रहे हैं. उन्हें सिर्फ रक्षात्मक कारणों से या अफगान सैनिकों की रक्षा के लिए ही तालिबान ठिकानों पर हमला बोलने का अधिकार था. इस हालिया बदलाव का अर्थ यह है कि अब अमेरिकी बल तालिबान पर हमले करने के लिए स्थानीय लडाकों के साथ मिलकर काम कर सकेंगे. तालिबान सभी विदेशी बलों को यहां से निकाले जाने की मांग कर चुका है.
