बच्चों को शारीरिक दंड संबंधी ”पोप” के बयान की जर्मनी ने की आलोचना

बर्लिन : जर्मनी और शारीरिक दंड विरोधी एक प्रमुख समूह ने पोप के उन बयानों को ‘अस्वीकार्य’ बताया है कि बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्हें शारीरिक दंड देने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते उनकी गरिमा आहत नहीं हो. पोप फ्रांसिस ने इस सप्ताह उस पिता की प्रशंसा की थी जिसने अपने बच्चे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 7, 2015 12:16 PM

बर्लिन : जर्मनी और शारीरिक दंड विरोधी एक प्रमुख समूह ने पोप के उन बयानों को ‘अस्वीकार्य’ बताया है कि बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्हें शारीरिक दंड देने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते उनकी गरिमा आहत नहीं हो. पोप फ्रांसिस ने इस सप्ताह उस पिता की प्रशंसा की थी जिसने अपने बच्चे को शारीरिक दंड देने की बात स्वीकार करते हुए कहा था.

उसने कभी बच्चे के चेहरे पर नहीं मारा ताकि वह अपमानित महसूस न करे.’ पोप फ्रांसिस ने व्यक्ति की बात को ‘खूबसूरत’ बताते हुए कहा, ‘वह गरिमा का ध्यान रखता है. उसे बच्चों को दंड देना होता है लेकिन वह यह काम उचित ढंग से करता है और आगे बढ जाता है.’

जर्मनीज फैमिलीज मिनिस्टरी की प्रवक्ता वेरेना हर्ब ने कल संवाददाताओं से कहा, ‘गरिमामय मार नाम की कोई चीज नहीं हो सकती.’ उन्होंने कहा, ‘इस बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा पूरी तरह अस्वीकार्य है.’

जर्मनी उन देशों में शामिल है जहां बच्चों को शारीरिक दंड देना अवैध है. इस बीच ‘ग्लोबल इनिशिएटिव टू एंड ऑल कॉरपोरल पनिशमेंट ऑफ चिल्ड्रन’ ने कहा कि वह पोप के बयान से निराश हैं जबकि अन्य धर्म गुरू बच्चों को दिए जाने वाले सभी प्रकार के शारीरिक दंड को प्रतिबंधित करने का समर्थन करते हैं.

समूह के पीटर नेवेल ने कहा, ‘इस मानवाधिकार के बारे में सर्वसम्मति है कि बच्चों को भी समान अधिकार है कि उनकी गरिमा बनाए रखी जाए और उन्हें कानून के तहत समान सुरक्षा मिले.’

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