मुस्लिम खलीफाओं के देश में मिला देवी का मंदिर, 2700 साल पुरानी पवित्र गुफा में दिखा अजूबा

Temple found in Turkey: फ्रिजियनों की एक प्रमुख देवी थीं, जिन्हें उर्वरता और प्रकृतिसे जुड़ा माना जाता था. उन्हें माटेरन, मातर और साइबेल जैसे कई नामों से जाना जाता था. फ्रिजियन, वही सभ्यता जिसने लगभग 1200 से 650 ईसा पूर्व के बीच तुर्की के इस क्षेत्र पर शासन किया था.

By Anant Narayan Shukla | October 9, 2025 4:09 PM

Temple found in Turkey: तुर्की में पुरातत्वविदों ने एक चौंकाने वाली खोज की है. आधुनिक डेनिजली शहर के पास खुदाई के दौरान उन्हें करीब 2700 साल पुराना एक प्राचीन मंदिर मिला है. माना जा रहा है कि यह मंदिर फ्रीजियन सभ्यता के दौर का है वही सभ्यता जिसने लगभग 1200 से 650 ईसा पूर्व के बीच इस क्षेत्र पर शासन किया था. फ्रीजियन साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक मिडास था, जिसके नाम से कई किंवदंतियाँ जुड़ी हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यह मंदिर संभवतः मातृ देवी की उपासना के लिए बनाया गया था. 

फ्रिजियनों की एक प्रमुख देवी थीं, जिन्हें उर्वरता और प्रकृतिसे जुड़ा माना जाता था. उन्हें माटेरन, मातर और साइबेल जैसे कई नामों से जाना जाता था. फ्रिजियन साम्राज्य को फ्रिजिया भी कहा जाता था. इसके पतन के बाद भी देवी की उपासना लंबे समय तक जारी रही. ऐतिहासिक प्रमाण बताते हैं कि फ्रिजियनों के बाद प्राचीन यूनानी और रोमन सभ्यताओं ने भी उनकी पूजा शुरू की. मंदिर के साथ ही एक पवित्र गुफा भी मिली है, जो इस धार्मिक स्थल का हिस्सा रही होगी. 

मंदिर की संरचना

पामुक्कले विश्वविद्यालय की पुरातत्व प्रोफेसर बिल्गे यिलमाज कोलांजी के अनुसार, “यह पवित्र स्थल एक फ्रिजियन शैल-स्मारक, एक पवित्र गुफा और दो संरचनाओं के बीच स्थित जुड़वा पत्थर की मूर्तियों से बना है.” तस्वीरों से पता चलता है कि ये मूर्तियां सीधे पहाड़ी चट्टानों में उकेरी गई हैं. कोलांजी ने बताया कि इस स्थल पर अर्घ्यदान पात्र और जल निकासी चैनल भी पाए गए हैं. अर्घ्यदान तरल पदार्थ (जैसे जल या घी) अर्पित करने की प्रथा प्राचीन धार्मिक अनुष्ठानों का एक प्रमुख हिस्सा मानी जाती थी.

मातृ देवी की जुड़वा मूर्तियां मिलीं

पामुक्काले विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर बिलगे यिलमाज कोलांसी ने लाइव साइंस से बातचीत में बताया कि यह पवित्र स्थल एक फ्रिजियन शैल-स्मारक, एक पवित्र गुफा और दो संरचनाओं के बीच स्थित जुड़वा पत्थर की मूर्तियों से बना है. रिपोर्ट के अनुसार, ये मूर्तियां सीधे पहाड़ी चट्टानों के ऊपरी हिस्से पर उकेरी गई हैं. कोलांसी ने बताया कि यहां अर्घ्यदान पात्रों और जल निकासी चैनलों के अवशेष भी मिले हैं. अर्घ्यदान यानी जल या अन्य तरल पदार्थ चढ़ाने की प्रथा, प्राचीन धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. हिंदू परंपराओं में यह आज भी देखी जा सकती है. 

2600 साल से भी अधिक पुराना धार्मिक स्थल 

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह पूरा स्थल लगभग 2600 से 2800 वर्ष पुराना है और संभवतः ‘मदर गॉडेस’ की पूजा से जुड़ा हुआ था. वहीं कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्राचीन कला विशेषज्ञ प्रोफेसर लिन रोलर (जो इस खुदाई से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं हैं) ने लाइव साइंस को बताया कि तस्वीरों से यह स्पष्ट है कि यह स्थान फ्रिजियन सभ्यता के अन्य धार्मिक स्थलों से काफी मिलता-जुलता है. रोलर के अनुसार, यह पवित्र स्थल संभवतः फ्रिजियन संस्कृति और शक्ति के उत्कर्ष काल (8वीं से 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व) में उपयोग में रहा होगा. रोलर ने कहा कि हालांकि जुड़वा मूर्तियां काफी घिस चुकी हैं, लेकिन उनकी शैली और आकृति मिडास सिटी जैसे फ्रिजियन स्थलों पर पाई गई मूर्तियों से मेल खाती है. उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर का पहाड़ी इलाके में स्थित होना, प्रारंभिक फ्रिजियन मंदिरों की एक आम विशेषता थी.

देवी मातर की पूजा का स्वरूप अभी अज्ञात

रोलर ने यह भी कहा कि अभी यह कहना कठिन है कि यह स्थल वास्तव में उर्वरता और फसल की देवी की उपासना के लिए ही इस्तेमाल होता था या नहीं.  उन्होंने कहा, “अब तक हमें इस बात के ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं कि फ्रिजियन लोग देवी मातर की पूजा किस प्रकार करते थे या उनके अनुयायियों के लिए उनका धार्मिक महत्व क्या था.” 

क्षेत्र में अन्य समान स्थल

रोलर के अनुसार, इस प्रकार के मंदिर इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय नहीं हैं. उन्होंने बताया, “डेनिजली क्षेत्र में ऐसा फ्रिजियन मंदिर मिलना आश्चर्यजनक नहीं है. डेनिजली, पामुक्कले (प्राचीन काल में हिएरापोलिस के नाम से जाना जाता था) के करीब है. वहां इटालियन पुरातात्विक मिशन कई वर्षों से कार्य कर रहा है और उन्होंने प्राचीन शहर के भीतर ही एक प्रारंभिक फ्रिजियन मंदिर खोजा था.”

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