विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान मतलब चिड़िया से बाज को मार गिराने वाला जांबाज

नयी दिल्लीः सैनिकों का शौर्य अकसर आम लोगों को अचंभित करता है. लोग आज भी यह सोचकर हैरान होते हैं कि भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पुराने मिग 21 बाइसन विमान से पाकिस्तान के एफ 16 जैसे लड़ाकू विमान को कैसे मार गिराया, लेकिन वह यह नहीं जानते कि दुनिया की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2019 11:58 AM

नयी दिल्लीः सैनिकों का शौर्य अकसर आम लोगों को अचंभित करता है. लोग आज भी यह सोचकर हैरान होते हैं कि भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पुराने मिग 21 बाइसन विमान से पाकिस्तान के एफ 16 जैसे लड़ाकू विमान को कैसे मार गिराया, लेकिन वह यह नहीं जानते कि दुनिया की कोई मशीन एक भारतीय सैनिक के हौंसले और जज्बे से मजबूत नहीं हो सकती.

इस साल फरवरी में अभिनंदन वर्धमान पूरे देश के सुपरहीरो हो गए, जब उन्होंने अपने मिग 21 विमान से न सिर्फ पाकिस्तान को अमेरिका से मिले अत्याधुनिक एफ 16 को मार गिराया, बल्कि तीन दिन तक दुश्मन की हिरासत में रहने के बाद पूरे सम्मान के साथ वापस लौट आए. भारत सरकार ने युद्धकाल में बहादुरी के लिए दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान ‘वीर चक्र’ देकर उनकी वीरता का सही मायने में अभिनंदन किया है.

उस घटनाक्रम को याद करें तो भारत ने 26 फरवरी को बालाकोट में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया तो उसके अगले दिन पाकिस्तान ने अपनी खीझ उतारने के लिए अत्याधुनिक एफ 16 से गीदड़ भभकी देने की कोशिश की. विंग कमांडर अभिनंदन को जैसे ही दुश्मन के इस दुस्साहस की भनक मिली वह अपना मिग 21 विमान लेकर हमलावर विमानों को खदेड़ने निकल पड़े.

अभिनंदन द्वारा अपने मिग 21 बाइसन विमान से अमेरिका के सबसे उन्नत विमान एफ 16 को मार गिराना किसी चमत्कार से कम नहीं था, लेकिन इस दौरान वह दुश्मन के इलाके में चले गए और उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. पैराशूट से उतरे विंग कमांडर ने दुश्मन के हाथ में पड़ने से पहले समझदारी का परिचय दिया और तमाम सामरिक कागजात नष्ट कर दिए.

दुश्मन की सेना की हिरासत में रहते हुए भी उन्होंने देश की वायुसेना और अपने बारे में कोई भी संवेदनशील जानकारी देने से पूरी सख्ती से इंकार कर दिया और अपनी जान हथेली पर लिए चाय की चुस्कियां लेते नजर आए. उनके जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो 21 जून, 1983 को जन्मे अभिनंदन का भारतीय वायु सेना के साथ पीढ़ियों पुराना रिश्ता है.

वह आज मिग-21 उड़ाते हैं और उनके पिता सिंहकुट्टी वर्धमान मिग-21 उड़ा चुके हैं. पांच वर्ष पहले ही सेवानिवृत्त हुए अभिनंदन के पिता देश के उन चुनिंदा पायलट में से हैं, जिनके पास 4000 घंटे से ज्यादा तक 40 तरह के विमान उड़ाने का अनुभव है. वह कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना की मिराज स्क्वाड्रन के चीफ आपरेशंस आफिसर थे. अभिनंदन के दादा भी भारतीय वायु सेना में रहे हैं.

इस लिहाज से कहें तो देशभक्ति और देश के लिए कुछ करने का जुनून उन्हें विरासत में मिला है. तमिलनाडु के तिरूवन्नामलाई जिले के रहने वाले अभिनंदन के दादा और माता पिता के अलावा उनकी पत्नी और भाई भी वायुसेना से जुड़े रहे हैं. उन्होंने स्कूल के दिनों की अपनी साथी तन्वी मरवाह से विवाह किया है. तन्वी भी वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर रही हैं. दोनों बहुत छुटपन से एक-दूसरे के साथी रहे हैं और स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दोनों ने माइक्रोबायोलॉजी में आगे की पढ़ाई भी एक साथ ही की.

दोनों के दो बच्चे हैं. देशसेवा और बहादुरी में अभिनंदन की मां डा. शोभा वर्धमान का भी कुछ कम योगदान नहीं है. अपने परिवार और बच्चों के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने के साथ ही उन्होंने मानवता की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया. वह दुनियाभर में मुफ्त में चिकित्सा सेवाएं देने वाले स्वयंसेवकों में शामिल रही हैं.

मद्रास मेडिकल कॉलेज से स्नातक डा. शोभा ने रॉयल कॉलेज आफ सर्जन्स ऑफ इंग्लैंड से स्नातकोतर की उपाधि ली. वह युद्धरत देशों में हजारों माताओं को प्रसव के बाद होने वाली दिक्कतों से उबारने में मदद करती रही हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर अपने देश और मानवता की सेवा को तत्पर एक मां के बेटे का जिगर ही ऐसा हो सकता है.

Next Article

Exit mobile version