Vastu Tips: नए घर के लिए वास्तु के मूल सिद्धांत, शुभता और समृद्धि का मार्ग

Vastu Tips: वास्तु शास्त्र, भारतीय ज्ञान की एक प्राचीन प्रणाली है जो भवन निर्माण और आंतरिक सज्जा के सिद्धांतों पर आधारित है. यह दिशाओं, तत्वों और ऊर्जा के प्रवाह के सामंजस्य पर केंद्रित है. उद्देश्य घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना और निवासियों के लिए सुख, समृद्धि और शांति सुनिश्चित करना है.

By Rajeev Kumar | August 10, 2025 11:12 PM

Vastu Tips: अपना नया घर बनाना सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निवेश होता है। हर कोई चाहता है कि उसका नया आशियाना सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हो। इसी कड़ी में, वास्तु शास्त्र के प्राचीन सिद्धांत एक बार फिर चर्चा में हैं, क्योंकि आजकल लोग अपने घरों में शुभता लाने के लिए इन सदियों पुराने नियमों का पालन कर रहे हैं। बदलते समय में भी, ये सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जो न केवल आपके घर को ऊर्जावान बनाते हैं, बल्कि परिवार में खुशहाली और आर्थिक स्थिरता भी लाते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे आप इन मूल सिद्धांतों को अपनाकर अपने नए घर को वास्तविक अर्थों में एक ‘शुभ निवास’ बना सकते हैं।

वास्तु शास्त्र का परिचय और महत्व

वास्तु शास्त्र, भारतीय ज्ञान की एक प्राचीन प्रणाली है जो भवन निर्माण और आंतरिक सज्जा के सिद्धांतों पर आधारित है. यह दिशाओं, तत्वों और ऊर्जा के प्रवाह के सामंजस्य पर केंद्रित है. इसका उद्देश्य घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना और निवासियों के लिए सुख, समृद्धि और शांति सुनिश्चित करना है. वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके, व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली कई परेशानियों को कम कर सकता है और सकारात्मकता का अनुभव कर सकता है.

मुख्य द्वार और प्रवेश

घर का मुख्य द्वार, जिसे प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह घर में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जाओं के प्रवेश का मार्ग है. वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना सबसे शुभ माना जाता है. यदि आप घर से बाहर निकलते समय आपका मुख उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो, तो यह शुभ माना जाता है. प्रवेश द्वार को अवरोधों से मुक्त, अच्छी रोशनी वाला और साफ-सुथरा रखना चाहिए ताकि घर में अधिकतम सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित हो सके. लकड़ी के दरवाजे शुभ माने जाते हैं, हालांकि दक्षिण दिशा के लिए लकड़ी और धातु का संयोजन तथा पश्चिम दिशा के लिए धातु का काम शुभ होता है. दरवाजे घर के अन्य दरवाजों से बड़े होने चाहिए और उनकी संख्या सम होनी चाहिए.

  • मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह आर्थिक उन्नति में बाधा बन सकता है.
  • कांटेदार पौधे मुख्य द्वार पर नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं.
  • मुख्य द्वार पर पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए.

रसोईघर का वास्तु

रसोईघर घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे पूरे घर की ऊर्जा का केंद्र माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोईघर हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्नि कोण) में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा अग्नि तत्व से संबंधित है. इस दिशा में रसोई होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और मानसिक तनाव कम होता है. उत्तर, उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रसोईघर बनवाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है और इससे धन हानि या अन्य समस्याएं हो सकती हैं. रसोईघर खुला-खुला और चौकोर होना चाहिए.

  • चूल्हा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए.
  • माइक्रोवेव, मिक्सर या अन्य धातु के उपकरण भी दक्षिण-पूर्व में रखने चाहिए.
  • रेफ्रिजरेटर या फ्रिज उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं.
  • पानी और आग (जैसे वॉशबेसिन और गैस स्टोव) को एक ही प्लेटफॉर्म पर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ये विरोधी तत्व व्यक्ति के व्यवहार को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
  • रसोईघर में पूजा का स्थान बनाना शुभ नहीं होता.
  • रसोईघर के पास बाथरूम या शौचालय नहीं होना चाहिए.
  • झाड़ू, पोंछा या सफाई का सामान नैऋत्य कोण में रख सकते हैं, लेकिन डस्टबिन को रसोईघर से बाहर ही रखना चाहिए.
  • रसोईघर की दीवारों का रंग पीला, नारंगी या गेरुआ होना चाहिए, जबकि नीले या आसमानी रंग के प्रयोग से बचना चाहिए.

शयन कक्ष (बेडरूम) का वास्तु

शयन कक्ष आनंद और आराम की प्रमुख जगह है और यह पारिवारिक व वैवाहिक जीवन में सुख-शांति को नियंत्रित करता है. वास्तु के अनुसार, बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण) में होना सबसे अच्छा माना जाता है. यदि यह संभव न हो, तो पश्चिम दिशा के कमरे को भी बेडरूम बनाया जा सकता है. दक्षिण-पूर्व दिशा में बेडरूम बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अग्नि तत्व से जुड़ी होती है और पति-पत्नी के बीच झगड़े का कारण बन सकती है. सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि यह लंबी और गहरी नींद के लिए आदर्श स्थिति मानी जाती है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. बिस्तर कभी भी उत्तर दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे तनाव होता है. बिस्तर लकड़ी का बना होना चाहिए और उसका सिरा एक ठोस दीवार से सटा हुआ होना चाहिए, खिड़की के नीचे नहीं. बिस्तर के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए. बेडरूम में इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टेलीविजन नहीं रखना चाहिए; यदि रखना हो, तो उसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें, बिस्तर के सामने नहीं. बच्चों के कमरे के लिए जीवंत रंगों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे पीला या नींबू हरा. दीवारों के लिए पीला रंग खुशी और सकारात्मकता बढ़ाता है, जबकि हरा रंग समृद्धि और प्रकृति को दर्शाता है. बेडरूम में गुलाबी और आसमानी जैसे हल्के रंगों का उपयोग शुभ माना जाता है.

पूजा घर का वास्तु

पूजा घर घर में सकारात्मक और शांत ऊर्जा का केंद्र होता है. पूजा घर की सबसे सही दिशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) मानी जाती है. यह दिशा भगवान शिव से संबंधित मानी जाती है और पवित्रता व आध्यात्मिकता का प्रतीक है. यदि उत्तर-पूर्व में संभव न हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा में पूजा घर बनवाया जा सकता है. मंदिर को दक्षिण दिशा में बनाना या पूजा घर रखना अशुभ माना जाता है. रसोईघर में पूजा घर नहीं होना चाहिए. देवताओं की मूर्तियां या तस्वीरें दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए. मुख्य मूर्ति को मंदिर के केंद्र या पीछे की ओर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थापित करना चाहिए. पूजा घर के दरवाजे और खिड़कियां उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खुलनी चाहिए. बेडरूम में पूजा का मंदिर बनाना हो, तो उसे कमरे के उत्तर-पूर्व में स्थापित करें और सोते समय ध्यान रखें कि पैर मंदिर की ओर न हों. यदि घर बहुमंजिला है, तो मुख्य मंदिर यूनिट को हमेशा ग्राउंड फ्लोर पर ही बनवाना चाहिए.

शौचालय और स्नानघर का वास्तु

शौचालय और स्नानघर को नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है. वास्तु के अनुसार, बाथरूम को उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए. इसे कभी भी दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम या घर के मध्य भाग में नहीं बनवाना चाहिए. उत्तर-पूर्व में शौचालय बहुत नुकसानदायक होता है और इसका कोई उपाय नहीं है बिना वहां से हटाए. शौचालय की सीट को हमेशा ऐसी दिशा में होनी चाहिए कि इसका उपयोग करने वाले का मुख घर के उत्तर या दक्षिणी दिशा में हो. बाथरूम के दरवाजे लकड़ी के होने चाहिए, ताकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो. वाशिंग मशीन को बाथरूम के दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए. गीजर, हेयर ड्रायर, पंखा आदि जैसे इलेक्ट्रिकल फिटिंग्स को बाथरूम के दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए.

रंगों का महत्व

वास्तु शास्त्र में रंगों का बहुत महत्व है, क्योंकि सही रंगों का प्रयोग जीवन में खुशियां, शांति, उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है. रंगों से उत्पन्न ऊर्जा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है.

    • सफेद रंग

यह शुद्धता, सफाई और खुलेपन को दर्शाता है. पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा मुखी बेडरूम के लिए यह सबसे अच्छा है. छत का रंग सफेद होना चाहिए.

    • नीला रंग

यह शांति और तनाव रहित होने का अहसास कराता है. पूर्व दिशा वाले कमरों के लिए और बेडरूम के लिए यह श्रेष्ठ माना जाता है, खासकर अतिथि कमरों के लिए. गहरे नीले के स्थान पर हल्के नीले रंग का प्रयोग करना चाहिए. उत्तर दिशा में हल्के नीले रंग के पर्दे धन आगमन को बढ़ाते हैं.

    • पीला रंग

यह खुशी, सकारात्मकता, बुद्धिमत्ता और आशावाद को बढ़ाता है. घर के उत्तर-पूर्व हिस्से के लिए और पूजा घर के लिए पीला रंग शुभ माना जाता है. जिन कमरों में सूरज की सीधी रोशनी नहीं आती, वहां पीला रंग प्रयोग करना चाहिए.

    • हरा रंग

यह समृद्धि, प्रकृति, सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. उत्तरमुखी दिशा वाले कमरों के लिए हरा रंग सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.

    • लाल/नारंगी/गुलाबी रंग

दक्षिण दिशा की दीवारों के लिए नारंगी या लाल रंग होना चाहिए. दक्षिण-पूर्व दिशा की दीवारों पर नारंगी, गुलाबी, पीला जैसे रंग शुभ होते हैं, क्योंकि यह दिशा अग्नि से संबंधित है. दक्षिण दिशा में लाल और गुलाबी रंग के पर्दों का प्रयोग करना चाहिए. बेडरूम में गुलाबी और आसमानी जैसे हल्के रंगों का उपयोग शुभ माना जाता है.

    • पश्चिम दिशा

पश्चिम दिशा की दीवार का रंग नीला या सफेद होना चाहिए.

वास्तु दोष निवारण

यदि घर में वास्तु दोष हो, तो उसे दूर करने के कई आसान उपाय हैं.

  • घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से नौ अंगुल लंबा और नौ अंगुल चौड़ा स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वास्तु दोष दूर होता है. हर मंगलवार को यह उपाय करने से मंगल ग्रह से जुड़े दोष भी समाप्त होते हैं.
  • पूजा पाठ और कीर्तन भजन रोजाना करने से मां लक्ष्मी का वास होता है और वास्तु दोष का निवारण होता है. गायत्री मंत्र और शांति पाठ रोजाना करने से भी लाभ होता है.
  • घर के उत्तर-पूर्व कोने को खाली और स्वच्छ रखना चाहिए.
  • नकारात्मक ऊर्जा को खींचने के लिए घर में समुद्री नमक का प्रयोग करें और हर शनिवार इसे बदलें.
  • वास्तु दोष वाली दिशा में पिरामिड लगाएं.
  • पवित्र पौधे लगाएं.
  • वास्तु दोष निवारण यंत्र और मंत्रों का प्रयोग करें.
  • गंगाजल और धूप का नियमित प्रयोग करें.
  • घर में कपूर की 2 टिकियां रखें, जब वह गल जाए तो नई टिकियां रख दें.
  • रसोईघर गलत स्थान पर है तो अग्निकोण में बल्ब लगा दें और हर रोज ध्यान से उस बल्ब को जलाएं.
  • घर में घोड़े की नाल टांगना शुभ माना जाता है, खासकर काले घोड़े की नाल मुख्य द्वार पर लगाने से सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
  • उत्तर-पूर्व कोने में खंडित न हो ऐसा कलश रखना सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है.
  • घर में फिश एक्वेरियम रखना भी वास्तु दोष दूर करने का एक बेहतरीन उपाय है.
  • घर को स्वास्तिक चिन्ह, मांडने और पौधों से सजाएं.