अपार्टमेंट में पूजा घर: सही दिशा और वास्तु के नियम

वास्तु शास्त्र में घर के हर कोने का विशेष महत्व है, खासकर पूजा घर का. अपार्टमेंट में पूजा घर के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को सबसे शुभ माना जाता है. इस कोने में पूजा घर स्थापित करने या हल्के रंगों का उपयोग करने से आपके घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह स्थान परिवार में सामंजस्य और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है. [5]

By Sameer Oraon | August 10, 2025 8:01 PM

Vastu Tips: शहरों में अपार्टमेंट में रह रहे लाखों लोगों के लिए अपने पूजा घर की सही दिशा और वास्तु के नियमों का पालन करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। आधुनिक जीवनशैली में जगह की कमी के बावजूद, हर कोई चाहता है कि उनका पूजा स्थल घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर का सही स्थान और दिशा परिवार के सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। ऐसे में, यह समझना बेहद ज़रूरी है कि अपार्टमेंट के सीमित दायरे में भी पूजा घर को कैसे स्थापित किया जाए ताकि सभी शुभ लाभ मिल सकें। विशेषज्ञ बताते हैं कि कुछ आसान नियमों का पालन करके भी घर में दिव्य ऊर्जा का संचार किया जा सकता है।

वास्तु शास्त्र और पूजा घर का महत्व

वास्तु शास्त्र भारतीय वास्तुकला का एक प्राचीन विज्ञान है जो घर के निर्माण और कमरों के स्थान निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश देता है, ताकि ऊर्जा संतुलन बना रहे. हर दिशा का अपना एक विशेष महत्व और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से संबंध होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पूजा कक्ष या मंदिर का विशेष महत्व है क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होता है और घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है. यह वह स्थान है जहाँ परिवार के सदस्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और धार्मिक ग्रंथ रखते हैं और मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं. माना जाता है कि वास्तु के अनुसार सही दिशा में मंदिर रखने से घर में सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा आती है, साथ ही आध्यात्मिक विकास में भी मदद मिलती है.

पूजा घर के लिए सही दिशा: ईशान कोण

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर रखने के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर-पूर्व दिशा है, जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है. इस दिशा को देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है. ईशान कोण में भगवान शिव और जल के देवता वरुण का वास होता है, और यह आध्यात्मिक उन्नति और शांति का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि ईशान कोण में बना मंदिर घर में सकारात्मकता, सुख और समृद्धि लाता है. पूर्व दिशा से सूर्य की पहली किरणें आती हैं, जो पूरे ब्रह्मांड को ऊर्जा प्रदान करती हैं. इसलिए, ईशान कोण में पूजा स्थल स्थापित करने से व्यक्ति की आंतरिक शांति को बढ़ावा मिलता है और उसे आत्मज्ञान की ओर मार्गदर्शन मिलता है. इसके अलावा, उत्तर या पूर्व दिशा में बैठकर पूजा करना लाभदायक होता है, इससे मन को शांति और एकाग्रता मिलती है, और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पूजा घर के लिए अन्य शुभ स्थान

यदि ईशान कोण में पूजा घर बनाना संभव न हो, तो कम से कम पूर्व या उत्तर दिशा का प्रयोग किया जा सकता है. घर का मध्य भाग, जिसे ब्रह्मस्थान भी कहते हैं, ऊर्जा का सबसे मजबूत केंद्र होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस स्थान पर मंदिर रखने से घर में समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का वास होता है. अगर मंदिर न रख पाएं, तो यहाँ एक छोटा पूजा स्थल या धार्मिक क्रियाएं करने की जगह बनाई जा सकती है.

अपार्टमेंट में पूजा घर के लिए विशेष नियम

अपार्टमेंट या फ्लैट में पूजा घर बनाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि वहाँ जगह की कमी या अन्य संरचनात्मक चुनौतियाँ हो सकती हैं.

  • जगह का चुनाव: यदि अलग से पूजा कक्ष के लिए जगह नहीं है, तो लिविंग रूम में एक छोटा मंदिर बनाया जा सकता है. जालीदार दरवाज़ों का उपयोग करके एक ऐसा क्षेत्र बनाया जा सकता है, जो खुला होने पर पूजा के लिए जगह बनाता है और बंद होने पर सजावट का हिस्सा लगता है. दीवार पर लगा मंदिर भी फर्श की जगह बचाने के लिए एक अच्छा विकल्प है. पोर्टेबल मंदिर भी कम जगह लेते हैं और इन्हें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है.
  • देवताओं की मूर्तियों की दिशा: पूजा कक्ष में देवी-देवताओं की तस्वीरें या मूर्तियाँ पूर्व या पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए, जिससे उनका मुख पश्चिम या पूर्व की ओर हो. भगवान विष्णु, शंकर जी, सूर्य भगवान, कार्तिकेय, गणेश जी और दुर्गा माता की मूर्तियों को पूर्व में रखना चाहिए, जिससे उनका मुंह पश्चिम की ओर हो. भैरव बाबा, कुबेर और हनुमान जी की मूर्तियों का मुंह दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है. मूर्तियों को उचित ऊंचाई पर रखना सुनिश्चित करें, जमीन के बहुत नजदीक नहीं. बहुत सारी मूर्तियाँ या तस्वीरें न रखें, क्योंकि इससे अस्त-व्यस्त और नकारात्मक माहौल बन सकता है.
  • दीपक और घंटी: पूजा स्थल में सुबह-शाम नियमित रूप से दीपक जलाना चाहिए. दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है. घंटी को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है. घंटी को पूजा स्थल के पास या मंदिर के प्रवेश द्वार पर रखना चाहिए.
  • रंग: पूजा घर का रंग हल्का पीला या सफेद रखना चाहिए, गाढ़े रंगों से बचना चाहिए. फर्श भी सफेद, ऑफ-व्हाइट या हल्का पीला होना चाहिए, क्योंकि ये रंग सकारात्मकता लाते हैं.

किन स्थानों पर पूजा घर बनाने से बचें

वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ स्थानों पर पूजा घर बनाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है:

  • सीढ़ियों के नीचे: वास्तु शास्त्र के अनुसार, फ्लैट में मंदिर को कभी सीढ़ियों के नीचे नहीं बनवाना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में परेशानियाँ आने लगती हैं और घर के सदस्यों की आर्थिक तरक्की भी बाधित हो जाती है. सीढ़ियाँ राहु का स्थान होता है.
  • शयनकक्ष में: बेडरूम में पूजा घर बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह उचित नहीं माना जाता है. हालांकि, अगर लिविंग रूम में जगह नहीं है और बेडरूम में पूजा का मंदिर बनाना जरूरी है, तो मंदिर को कमरे के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में स्थापित करें. सोते समय ध्यान रखें कि आपके पैर मंदिर की ओर न हों.
  • रसोई के पास: पूजा स्थल को रसोई के पास नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इन जगहों पर नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है.
  • शौचालय के पास या ऊपर-नीचे: पूजा घर के ऊपर या ठीक बगल में बाथरूम या शौचालय नहीं होना चाहिए. घर में उत्तर-पूर्वी दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए, खासकर यदि पूजा कक्ष इसी दिशा में हो.
  • बेसमेंट में: वास्तु के अनुसार, घर के मंदिर को कभी भी बेसमेंट में नहीं बनवाना चाहिए, इससे पूजा का फल नहीं मिलता है.
  • दक्षिण दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर को दक्षिण दिशा में बनाना या पूजा घर रखना अशुभ माना जाता है. इसी तरह, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ या तस्वीरें भी दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए. ऐसा करने से पूजा करने वाला व्यक्ति दक्षिण की ओर मुख करके पूजा करेगा, जो वास्तु शास्त्र में उचित नहीं माना जाता है.
  • भंडार कक्ष: पूजा स्थान के साथ स्टोर रूम नहीं बनाना चाहिए.

वास्तु दोष निवारण के उपाय

यदि किसी कारणवश पूजा घर वास्तु नियमों के अनुसार नहीं बना है, तो कुछ उपायों से वास्तु दोष को कम किया जा सकता है. यदि पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं है, तो उत्तर-पूर्व कोने में क्रिस्टल पिरामिड रखें, यह वास्तु दोष को दूर करता है. मंदिर के नीचे पीतल की वास्तु प्लेट रखने से गलत दिशा में बने मंदिर का दोष शांत होता है. यदि पूजा स्थान किसी बेडरूम या लिविंग रूम में है, तो उसे पीले या सफेद रंग के पर्दे से अलग करें, इससे उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ेगी. इन उपायों से न केवल पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी, बल्कि घर में समृद्धि और शांति भी बनी रहेगी.