Vastu Tips: घर में कलह से पाएं मुक्ति, इन वास्तु दोषों को ऐसे करें दूर
Vastu Tips: घर में वास्तु दोष होने पर परिवार के सदस्यों के बीच तनाव, झगड़े और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं, और धन संबंधी परेशानियां भी आ सकती हैं. वास्तु के सिद्धांतों का पालन करके घर के वातावरण को सकारात्मक बनाया जा सकता है, जिससे परिवार में खुशहाली और मेलजोल बढ़ता है.
Vastu Tips: क्या आपके घर में अक्सर लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं? क्या परिवार में हमेशा तनाव और अशांति का माहौल बना रहता है? कई बार इसका कारण वास्तु दोष हो सकते हैं, जो घर की सकारात्मक ऊर्जा को कम करते हैं और नकारात्मकता बढ़ाते हैं. इन वास्तु दोषों को दूर करके आप अपने घर में सुख-शांति और समृद्धि वापस ला सकते हैं. वास्तु शास्त्र के कुछ सरल उपाय अपनाकर आप अपने घर से कलह को हमेशा के लिए खत्म कर सकते हैं. जानिए कैसे ये छोटे बदलाव आपके जीवन में बड़ा फर्क ला सकते हैं और आपके घर को खुशियों से भर सकते हैं. 
वास्तु शास्त्र और पारिवारिक शांति का महत्व
वास्तु शास्त्र, एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने पर केंद्रित है. इसका सीधा संबंध घर में रहने वाले लोगों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि से है. ऐसा माना जाता है कि घर में वास्तु दोष होने पर परिवार के सदस्यों के बीच तनाव, झगड़े और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं, और धन संबंधी परेशानियां भी आ सकती हैं. वास्तु के सिद्धांतों का पालन करके घर के वातावरण को सकारात्मक बनाया जा सकता है, जिससे परिवार में खुशहाली और मेलजोल बढ़ता है.
मुख्य द्वार का वास्तु और उसके उपाय
घर का मुख्य द्वार ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है, क्योंकि यहीं से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाएं घर में प्रवेश करती हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार की सही दिशा और स्थिति घर के निवासियों के भाग्य और सुख-समृद्धि को प्रभावित करती है. अगर मुख्य द्वार वास्तु के नियमों के अनुसार न हो, तो यह विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है, जिनमें स्वास्थ्य समस्याएं, रिश्तों में अनबन और गलतफहमियां शामिल हैं.
- मुख्य द्वार की दिशा: वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य द्वार के लिए उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह सौभाग्य और नई संभावनाएं लेकर आता है. उत्तर और पूर्व दिशा को भी शुभ माना जाता है. वहीं, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार का होना वास्तु दोष माना जाता है.
- मुख्य द्वार के दोषों का निवारण:
- यदि मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में हो, तो मुख्य द्वार के ऊपर बैठी हुई स्थिति में पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाने से दोष दूर हो सकता है.
- मुख्य द्वार पर लाल कुमकुम से बना स्वस्तिक लगाने से भी वास्तु दोष दूर होता है.
- यदि दो घरों के मुख्य द्वार आमने-सामने हों, तो यह भी एक वास्तु दोष है, जिसे मुख्य द्वार पर स्वस्तिक लगाकर दूर किया जा सकता है.
- मुख्य द्वार पर ‘ॐ’ या ‘शुभ-लाभ’ जैसे पवित्र चिह्न बनाने से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है और नकारात्मकता दूर रहती है.
- मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में आर्थिक स्थिरता आती है.
- मुख्य द्वार के पास तुलसी का पौधा और केले का पौधा लगाने से भी वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है.
- यदि मुख्य द्वार के सामने दीवार हो, तो उस पर आईना लगाने से ऊर्जा घर में फैलती है. साथ ही, दीवार को शुभ प्रतीकों या प्रकृति से प्रेरित कलाकृतियों से सजाना चाहिए.
- मुख्य द्वार का रंग: वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार के लिए पीले, लकड़ी के रंग या मिट्टी के रंग का चुनाव करना अनुकूल माना जाता है. लाल या चमकीले रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. काले रंग का प्रयोग उदासी और नकारात्मक भावनाओं को जन्म देता है, इसलिए इससे बचना चाहिए.
रसोई घर का वास्तु और समाधान
रसोई घर को घर का एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, जहां से पूरे घर को ऊर्जा मिलती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है. रसोई घर में वास्तु दोष होने पर परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, कार्यक्षेत्र में परेशानी, धन की समस्या और आपसी मतभेद हो सकते हैं.
- चूल्हे की दिशा: खाना पकाने का चूल्हा हमेशा दक्षिण-पूर्व कोने में रखना चाहिए, और खाना बनाने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
- पानी का स्थान: पीने का पानी या सामान्य जल को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में रखना चाहिए.
- पानी और आग का संतुलन: चूल्हा (अग्नि तत्व) और सिंक (जल तत्व) को एक साथ नहीं रखना चाहिए, इन्हें जितना हो सके, उतना दूर रखें, क्योंकि ये विरोधी तत्व हैं.
- रसोई के दोषों का निवारण:
- यदि रसोई का स्थान वास्तु के अनुसार नहीं है, तो अग्नि कोण (पूर्व-दक्षिण दिशा के मध्य) में लाल रंग के बल्ब का प्रयोग करने से दोष दूर होता है.
- यदि रसोई का गेट मुख्य गेट के सामने है, तो मुख्य गेट और रसोई के दरवाजे के बीच एक छोटा सा क्रिस्टल बॉल लटकाने या पर्दा लगाने से वास्तु दोष दूर हो सकता है.
- रसोई को अव्यवस्था मुक्त और व्यवस्थित रखना चाहिए.
- मिक्सर, जूसर, आटा चक्की जैसे उपकरण आग्नेय कोण के पास दक्षिण में रखने चाहिए.
- मसालों, अनाज और दालों को दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में रखना चाहिए.
शयन कक्ष (बेडरूम) का वास्तु और समाधान
शयन कक्ष घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जो सुख-शांति और रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने के लिए आवश्यक है. बेडरूम में वास्तु दोष होने से तनाव, झगड़े, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और पति-पत्नी के बीच मनमुटाव हो सकता है.
- बेडरूम की दिशा: मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए. पश्चिम दिशा का भी प्रयोग किया जा सकता है. उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व में बेडरूम होने से दाम्पत्य जीवन में मुश्किलें आ सकती हैं.
- पलंग की दिशा और स्थिति:
- पलंग पूर्व-पश्चिम या उत्तर-दक्षिण की ओर होना चाहिए.
- सोते समय सिर हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रहना चाहिए.
- पलंग लकड़ी का हो तो सर्वोत्तम है, लोहे या धातु का पलंग अच्छा नहीं माना जाता है.
- पलंग आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए, गोल पलंग का प्रयोग न करें.
- पलंग के नीचे जूते-चप्पल और सामान नहीं रखना चाहिए.
- बेडरूम का रंग: बेडरूम की दीवारों पर गहरे रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. पिंक, क्रीम, हल्का हरा रंग सर्वोत्तम माना जाता है. हरा रंग शांति, समृद्धि और प्रकृति को दर्शाता है.
- शयन कक्ष के दोषों का निवारण:
- बेड के सामने शीशा या टीवी नहीं होना चाहिए.
- बेडरूम में कूड़ा पात्र, मंदिर और पूर्वजों के चित्र नहीं होने चाहिए.
- बेडरूम में हल्की सुगंध का प्रयोग लाभदायक होता है.
- नियमित रूप से बेडरूम में नमक के पानी का पोंछा लगाना चाहिए.
- यदि बेडरूम उत्तर-पूर्व दिशा में है, तो समुद्री नमक या कपूर के क्रिस्टल का एक कटोरा रखना चाहिए.
- उत्तर-पूर्व की ओर मुख वाले बेडरूम की दीवारों को सफेद या पीले रंग से रंगवाना चाहिए.
- लैवेंडर की खुशबू आर्थिक लाभ और दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बनाती है.
- कमरे में भगवान गणेश और/या देवी लक्ष्मी के चित्र रखने से सकारात्मक ऊर्जा आती है.
शौचालय का वास्तु और निवारण
शौचालय से संबंधित वास्तु दोष भी घर में नकारात्मक ऊर्जा और कलह का कारण बन सकते हैं.
- शौचालय की दिशा: शौचालय को पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में होना चाहिए. टॉयलेट सीट के लिए दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम की ओर मुख करना आदर्श स्थिति है.
- शौचालय के दोषों का निवारण:
- शौचालय का दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए.
- शौचालय को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए.
- शौचालय में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए कपूर या धूप जलानी चाहिए.
- शौचालय की दीवारों पर गहरे रंगों से बचना चाहिए, बेज और क्रीम जैसे रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
- शौचालय की दक्षिण दीवार पर पिरामिड लगाना शुभ माना जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है.
- बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी रखनी चाहिए, क्योंकि नीला रंग खुशहाली और शुभता का प्रतीक होता है.
- यदि शौचालय उत्तर या पूर्व दिशा में हो, तो एक कांच की कटोरी में फिटकरी रखकर एक महीने के अंदर बदलना चाहिए.
अन्य महत्वपूर्ण वास्तु उपाय
- नकारात्मक ऊर्जा का निवारण:
- घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए नियमित रूप से कपूर, धूप और गुगुल का धुआं करना चाहिए.
- तुलसी का पौधा घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मददगार माना गया है.
- बांसुरी घर पर रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.
- घर के कोनों में नमक रखने और अधिक दर्पण लगाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है.
- घर से सूखे और मुरझाए पौधों को हटा देना चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं.
- घर को हमेशा साफ और व्यवस्थित रखना चाहिए, खासकर ब्रह्म स्थान (घर का मध्य भाग) को साफ और खाली रखना चाहिए.
- घर में हल्के और सकारात्मक रंगों जैसे सफेद, हल्का नीला, हरा का उपयोग करना चाहिए.
- पूजा-पाठ, ध्यान, योग या मंत्र जाप नियमित रूप से करना चाहिए.
- जल का महत्व:
- घर में कहीं भी पानी का रिसाव नहीं होना चाहिए, क्योंकि टपकता हुआ नल गरीबी और परेशानी का कारण बनता है.
- गंदे पानी की निकासी का ढलान हमेशा उत्तर और पूर्व दिशा में होना चाहिए.
- पानी पीते समय ग्लास में उतना ही पानी लेना चाहिए, जितनी आवश्यकता हो, पानी छोड़ना वास्तु दोष माना जाता है.
- भूमिगत टैंक या बोरिंग पूर्व या उत्तर दिशा में बनाना चाहिए. ब्रह्म स्थान पर भूमिगत टैंक या बोरिंग गंभीर वास्तु दोष माना जाता है.
- पानी की टंकी पश्चिम या नैऋत्य दिशा में ऊंचे प्लेटफार्म पर रखना शुभ माना जाता है.
- धन और समृद्धि:
- धन को हमेशा दक्षिण-पश्चिम स्थान पर रखना चाहिए, जिससे वित्तीय स्थिरता आती है.
- अलमारी या तिजोरी को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए और उसका दरवाजा उत्तर दिशा की ओर खुलना चाहिए.
- घर की उत्तर-पूर्व दिशा में पर्याप्त खुली जगह होनी चाहिए, और उत्तर दिशा में कोई भारी वस्तु नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ये धन के प्रवाह में बाधा बन सकती हैं.
- घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में तांबे का स्वस्तिक रखने से धन आकर्षित होता है.
- घर के ईशान कोण में एक्वेरियम या फव्वारा रखने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं.
