कोडरमा के आदिवासी बाहुल्य गांवों की नहीं बदली स्थिति, सखुआटांड़ और पीपराटांड़ के लोग आज भी चुआं के पानी पर हैं निर्भर

Jharkhand News (डोमचांच, कोडरमा) : आजादी के वर्षों बाद भी कई इलाके ऐसे हैं जहां लोग आज भी मुलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. हालांकि, कई जगहों की समस्याएं शासन-प्रशासन के सामने आने पर वहां स्थिति सुधरी भी है, पर प्रखंड का आदिवासी बाहुल्य गांव सखुआटांड़ व पीपराटांड़ इतना खुशनसीब नहीं है. यहां की समस्या शासन- प्रशासन के सामने आने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है. लोग आज भी जैसे-तैसे जीवन काटने को मजबूर हैं. यह हाल तब है जब यह जगह प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2021 10:36 PM

Jharkhand News (डोमचांच, कोडरमा) : आजादी के वर्षों बाद भी कई इलाके ऐसे हैं जहां लोग आज भी मुलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. हालांकि, कई जगहों की समस्याएं शासन-प्रशासन के सामने आने पर वहां स्थिति सुधरी भी है, पर प्रखंड का आदिवासी बाहुल्य गांव सखुआटांड़ व पीपराटांड़ इतना खुशनसीब नहीं है. यहां की समस्या शासन- प्रशासन के सामने आने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है. लोग आज भी जैसे-तैसे जीवन काटने को मजबूर हैं. यह हाल तब है जब यह जगह प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

मसनोडीह पंचायत के सुदुरवर्ती जंगली क्षेत्र सखुआटांड़ व पीपराटांड़ में बसे आदिवासी परिवार समस्याओं के बीच छला हुआ महसूस कर रहे हैं. गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं है, तो सड़क की हालत भी खराब है. जानकारी के अनुसार, इन दोनों इलाकों में करीब 200 आदिवासी परिवार रहते हैं.

यहां के लोगों ने बताया कि वर्ष 2006 से यहां रह रहे हैं. पीपराटांड़ में दो चापानल है, लेकिन एक चापानल पिछले कई महीनों से खराब पड़ा है. एक का जलस्तर नीचे चला गया है. स्थानीय महिला मुंद्रिका देवी, छोटू सोरेन, सानिया टुड्डू आदि ने बताया कि इस कोरोना महामारी में हमलोगों को कोई सहयोग नहीं मिला. हमलोगों के समक्ष आर्थिक संकट आ गया है.

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इन ग्रामीण महिलाओं ने कहा कि अगर हम लोगों के यहां कोई बीमार पड़ जाता है, तो सड़क नहीं होने के कारण मजबूरन 3 किलोमीटर तक खटिया पर ले जाने को मजबूर होते हैं. सड़क व पानी की गंभीर समस्या है. हम लोगों ने खुद मेहनत कर एक चुआं का निर्माण किया है. वही चुआं से बर्तन धोने व स्नान करने का पानी लाते हैं.

इस संबंध में सखुआटांड़ (सपहा) निवासी विजय मूर्मू व अनिल टुड्डू ने बताया कि सड़क नहीं रहने के कारण हमलोगों के समक्ष आवागमन की समस्या बनी हुई है. यहां पानी की भी समस्या है. चापानल नहीं होने के कारण पीने के पानी की समस्या गंभीर है. चुआं का पानी पीने को मजबूर हैं.

पिछले साल पहुंची थी प्रशासनिक टीम, आश्वासन आज तक नहीं हुआ पूरा

प्रखंड के आदिवासी बाहुल्य इन गांवों की समस्या को प्रभात खबर ने वर्ष 2020 में प्रमुखता से सामने लाया था. फरवरी 2020 में इन इलाकों के लोगों से बातचीत पर आधारित रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद डीसी रमेश घोलप के निर्देश पर 18 फरवरी को प्रशासनिक टीम गांव पहुंची थी. अधिकारियों ने जल्द ही शिविर लगाकार समस्याओं के समाधान को लेकर कदम उठाने का आश्वासन दिया था. दुर्भाग्य है कि यह आश्वासन आज तक पूना नहीं हो पाया और न ही गांवों की तस्वीर बदल पायी. स्थानीय लोगों ने इस पर गुस्सा जताया है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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