Paush Month 2022: पौष का महीना शुरू, इस माह में ना करें ये काम, हो सकता है बड़ा नुकसान

Paush Month 2022 does and dont's: इस माह की पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसलिए इस महीने को पौष और पूस के नाम से जाना जाता है. इस माह को में पितरों की आत्मा को शांति के लिए पिंड दान किया जाता है. पौष माह में ऐसे कई काम भी होते हैं जो हमें नहीं करना चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2022 7:22 AM

Paush Month 2022 does and dont’s: 9  दिसंबर 2022 से पौष का महीना शुरू हो चुका है और ये 7 जनवरी 2023 तक चलेगा. इस माह की पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसलिए इस महीने को पौष और पूस के नाम से जाना जाता है. इस माह को में पितरों की आत्मा को शांति के लिए पिंड दान किया जाता है, जिससे वह परिवारजनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. पौष माह में ऐसे कई काम भी होते हैं जो हमें नहीं करना चाहिए. यहां जानें इस माह में क्या क्या नहीं

पौष के महीने में ना करें मांगलिक कार्य

पौष के महीने को शादी विवाह और सगाई आदि कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता, इसलिए ऐसे शुभ काम इस माह में नहीं करने चाहिए. यहां तक कि शादी की चर्चा भी नहीं करनी चाहिए.मकर संक्रांति के बाद ही शुभ काम करें. पौष मास में नमक का सेवन भी कम से कम करना चाहिए. वरना यह सेहत पर बुरा असर डालता है.

पौष के महीने में ना करें इन चीजों का सेवन
पौष के महीने में मूली, फूल गोभी, बैंगन, उड़द और मसूर की दाल, मांस और मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.पूस के महीने में शक्कर खाने से बचना चाहिए. बेहतर होगा कि इस महीने गुड़ का सेवन करें.

नए काम की ना करें शुरुआत
पौष माह में नए काम या व्यवसाय का आरंभ करना शुभ नहीं माना जाता.

नमक का सेवन

इस महीने में नमक का सेवन भी कम से कम करें.

भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व

इस महीने में भगवान सूर्य के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इसके साथ ही इस महीने को छोटे पितृपक्ष के रूप में भी जानते हैं इसलिए इस महीने में पिंडदान, श्राद्ध तर्पण करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

पितरों को तर्पण भी देने का खास महत्व

पौष मास में पितरों को तर्पण भी देने का खास पुण्य मिलता है. यही कारण है कि इसे  छोटा पितृ पक्ष मास भी कहा जाता है.इसलिए इस माह में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

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