New Gorakhpur Project: जमीन अधिग्रहण में जीडीए की टीम का छूट रहा पसीना, बातचीत के लिए तैयार नहीं काश्तकार

गोरखपुर में गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) नया गोरखपुर के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर 24 गांव का भ्रमण कर चुकी है. लेकिन नए गोरखपुर के लिए जमीन अधिग्रहण सहमति के आधार पर होना मुश्किल नजर आ रहा है.

By Prabhat Khabar | March 26, 2023 5:33 PM

गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) नया गोरखपुर के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर 24 गांव का भ्रमण कर चुकी है. लेकिन नए गोरखपुर के लिए जमीन अधिग्रहण सहमति के आधार पर होना मुश्किल नजर आ रहा है. जहां भी जीडीए की टीम ने भ्रमण किया है काश्तकारों से उन्हें सहमति के लिए ना सुनने को मिला है. ऐसे ही जीडीए की टीम तकिया मेदिनीपुर गांव में काश्तकारों का इंतजार करती रह गई लेकिन कोई भी काश्तकार जमीन को लेकर बात करने के लिए जीडीए की टीम के पास नहीं आया. काश्तकारों का कहना है कि जीडीए जो सर्किल रेट पर जमीन मांग रही है हम उस पर तैयार नहीं है. जीडीए की टीम ने गोरखपुर के परमेश्वरपुर ,बिशुनपुर, देवीपुर, ठाकुरपुर नंबर 1 और 2 ,बालापार, मनीराम, महाराजगंज ,रामपुर, गोपालपुर, दौलतपुर ,रहमत नगर, रुद्रपुर ,बैजनाथपुर ,सोनबरसा, माड़ापार गांव में जाकर किसानों और काश्तकारों के साथ बैठक कर चुकी है.

जीडीए से बातचीत से इंकार कर रहे काश्तकार

वहीं जीडीए की टीम ने शनिवार को भी कुसमी क्षेत्र के 6 गांव में दोबारा पहुंचकर किसानों और काश्तकारों से बात करने की कोशिश की लेकिन वहां भी काश्तकारों ने इंकार कर दिया. जीडीए की अलग-अलग टीमों ने अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचकर किसानों से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा. कई क्षेत्रों में तो जीडीए की टीम बैठक करने के लिए किसानों का इंतजार करती रह गई लेकिन किसान बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे ही नहीं.

सर्किल रेट पर जमीन नहीं देना चाहते किसान

काश्तकारों और किसानों की माने तो उनके पास छोटी-छोटी जमीने हैं और यह जमीन भी उनकी नए गोरखपुर के लिए अधिग्रहण सहमति में चली जाएगी तो उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं रहेगा. कई जगहों पर काश्तकारों और किसानों का कहना है कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण जिस सर्किल रेट पर जमीन दे रहा है उस पर वह तैयार नहीं है. फिलहाल अभी नए गोरखपुर बसाने के लिए जमीन अधिग्रहण सहमति को लेकर जीडीए को खाली हाथ ही वापस आना पड़ा है.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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