झारखंड के इस जिले में 95 फीसदी मध्य विद्यालयों में नहीं हैं प्रधानाध्यापक, बिना पदोन्नति के ही हर महीने सेवानिवृत हो रहे शिक्षक

Jharkhand News, गढ़वा न्यूज (पीयूष तिवारी) : झारखंड के गढ़वा जिले में संचालित मध्य विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हैं. इस वजह से यहां प्रभारी से काम चलाया जा रहा है. 95 प्रतिशत मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद रिक्त पड़ा हुआ है. यह स्थिति लंबे समय से प्रोन्नति नहीं दिये जाने की वजह से बनी हुयी है. इससे एक तरफ जहां पात्र शिक्षकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका असर शिक्षण की गुणवत्ता व विद्यालय के संचालन पर भी पड़ रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2021 1:21 PM

Jharkhand News, गढ़वा न्यूज (पीयूष तिवारी) : झारखंड के गढ़वा जिले में संचालित मध्य विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हैं. इस वजह से यहां प्रभारी से काम चलाया जा रहा है. 95 प्रतिशत मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद रिक्त पड़ा हुआ है. यह स्थिति लंबे समय से प्रोन्नति नहीं दिये जाने की वजह से बनी हुयी है. इससे एक तरफ जहां पात्र शिक्षकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका असर शिक्षण की गुणवत्ता व विद्यालय के संचालन पर भी पड़ रहा है.

गढ़वा जिले के मध्य विद्यालयों में मात्र सात विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापक हैं. यहां 145 मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद स्वीकृत हैं. इस हिसाब से कुल 138 स्वीकृत विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं हैं. यहां प्रभारी से काम चलाया जा रहा है. इस समस्या के बीच बिना प्रोन्‍नति के हर महीने शिक्षक रिटायर भी हो रहे हैं. सेवानिवृति के पहले एवं सेवानिवृति के बाद भी उन्हें उस हिसाब से वेतन आदि का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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बताया जा रहा है कि राज्य कार्मिक विभाग की ओर से प्रोन्‍नति पर रोक लगाने के कारण ऐसा हो रहा है. उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले में कुल सरकारी विद्यालयों की संख्या 1435 है. इसमें 898 प्राथमिक विद्यालय, 411 माध्यमिक विद्यालय और 126 उच्च विद्यालय शामिल हैं. गढ़वा जिले में वैसे 411 मध्य विद्यालय हैं, लेकिन उसके संचालन के लंबे समय के बाद भी प्रधानाध्यापक आदि के पद का सृजन ही नहीं किया गया है. इस वजह से वहां कम योग्यताधारी ही प्रधानाध्यापक का कार्य देख रहे हैं.

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झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष कमलेश्वर पांडेय ने कहा कि पद रिक्त रहते हुये बिना प्रोन्नति के सेवानिवृत होने को मजबूर होना, प्रधानाध्यापक विहीन विद्यालयों का संचालन, विषय आधारित शिक्षकों की कमी को बनाये रखा जाना शिक्षा एवं शिक्षक हित में उचित प्रतीत नहीं होता है. उन्‍होंने कहा कि कुछ कारणों के आलोक में कार्मिक विभाग द्वारा प्रोन्नतियों पर रोक लगायी गयी है. उन कारणों का तत्काल समाधान करते हुए प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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