PHOTOS: विश्व आदिवासी दिवस की हजारीबाग, लातेहार व गिरिडीह में भी धूम, जमकर थिरकी युवतियां

झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस की धूम है. हजारीबाग, लातेहार और गिरिडीह जिले में कार्यक्रम आयोजित कर आदिवासी समुदाय के एकजुट करने पर जोर दिया गया. इस मौके पर आदिवासी युवतियां जमकर थिरकी. इस मौके पर जहां बाईक रैली का आयोजन हुआ, वहीं भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.

By Samir Ranjan | August 9, 2023 7:33 PM
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हजारीबाग में हर्षोल्लास से मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस

Jharkhand News: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर हजारीबाग, लातेहार व गिरिडीह में आदिवासी समुदाय के लोगों ने इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया. हजारीबाग के नगर भवन में आदिवासी छात्र संघ एवं केंद्रीय सरना समिति समेत अन्य आदिवासी संगठनों की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उपस्थिति सभी अतिथियों का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि डीडीसी प्रेरणा दीक्षित ने कहा कि आदिवासी समाज अपने भाषा और संस्कृति को साथ लेकर समाज की मुख्यधारा से जुड़े. उन्होंने समाज में व्याप्त अशिक्षा को दूर करने के लिए लोगों को आगे आने का आह्वान किया. उन्होंने तामिलनाडु के एक जनजाति टोडा का उदाहरण देते हुए कहा कि यह जनजाति विकास के साथ-साथ भाषा और संस्कृति को बचाये रखा है. उन्होंने झारखंड की एक आदिवासी जनजाति बिरहोर के संबंध में कहा कि उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अन्य जनजातियों को आगे आने के लिए कहा. साथ ही कहा कि सरकार सभी आदिवासी समुदाय के विकास के लिए लगातार योजनाएं चला रही है. प्रशासन योजनाओं को उन तक पहुंचाने का काम कर रही है. उन्होंने बिरहोर जनजातियों को शिक्षित करने के लिए सरकार, प्रशासन के साथ-साथ आमलोगों को भी मेहनत करने की जरूरत है. वहीं, विशिष्ठ अतिथि प्रशिक्षु आईएएस सुलोचना मीणा ने कहा कि भारत में रहनेवाले सभी आदिवासी समाज की विभिन्न जातियों के भाषा और संस्कृति को समझने की जरूरत है. अलग-अलग क्षेत्रों में इनकी भाषा और संस्कृति अलग-अलग है. उसे और प्रोत्साहित करने की जरूरत है. भाषा, कला और संस्कृति से जुड़े आदिवासी समुदाय के लोगों को सरकार लगातार आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है.

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आपस में मिल-जुलकर रहें आदिवासी समुदाय के लोग : बिशप आनंद जोजो

बिशप आनंद जोजो ने कहा कि सभी आदिवासी समुदाय के लोग आपस में मिल-जुलकर रहें. अपनी-अपनी भाषा और संस्कृति को बचाये रखने के लिए काम करना होगा. उन्होंने कहा कि एक-दूसरे में प्रेम और शांति का प्रसार-प्रचार हो, तभी आदिवासी जनजाति कला-संस्कृति और भाषा का विकास होगा. कार्यक्रम को अपर समाहर्ता राकेश कुमार, कल्याण पदाधिकारी सुभाष कुमार, आदिवासी छात्र संघ से सुशील ओडैया, सरना समिति के महेंद्र बैक, डॉ जयप्रकाश रविदास, संथाल स्टूडेंट यूनियन के मनोज टुडू, बंधन एक्का, डॉ मारगेट लकड़ा, डॉ अमित सोरेन, गुंद्रा मुंडा ने भी अपने विचार रखे.

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द्वीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत

कार्यक्रम का उदघाटन डीडीसी प्रेरणा दीक्षित, प्रशिक्षु आईएएस सुलोचना मीणा समेत कई आदिवासी संगठन से जुड़े लोगों ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस मौके पर शहर के विभिन्न गांव-मुहल्लों में बसे आदिवासी समाज के लोग सुबह 10 बजे से ही कार्यक्रम को लेकर नगर भवन पहुंचने लगे थे. अपने-अपने मुहल्ले के सांस्कृतिक संगठन के जुड़े कलाकार परंपरागत गीत एवं नृत्य करते हुए टोली में कार्यक्रम स्थल पहुंचकर अपनी एकता और संस्कृति का परिचय दिया. विभिन्न संगठन की ओर से नगर भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष सुशील ओडैया, संचालन सरना समिति सचिव सुनील लकड़ा ने किया.

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लातेहार के महुआडांड़ प्रखंड में धूमधाम से मना आदिवासी दिवस

इधर, लातेहार जिला के प्रखंड महुआडांड़ में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर छेछाड़ी आदिवासी युवा जागृति मंच की ओर से बाइक जुलूस निकाली गई. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. शहीद चौक में माल्यार्पण कर बाईक जुलूस शुरू हुआ. इस मौके पर जीतू किसान व मिट्ठू किसान की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. साथ बिरसा चौक पर भगवान बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर बाईक रैली 21 पड़ाह स्थल गांव चटकपुर पहुंची. जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान पारंपरिक नाच-गान सहित पर्यावरण संरक्षण एवं आदिवासी के अधिकार की बात की गई.

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आदिवासी समुदाय के लोगों से सजग व सतर्क रहने की अपील

इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेरोम जेराल्ड कुजूर ने आज के हालात में सभी आदिवासी समुदाय के लोगों से सजग व सतर्क रहने का आह्वान किया. कहा कि आदिवासी दिवस को हम अधिकार दिवस के रूप में मनाते हैं. संयुक्त राष्ट्र सभा द्वारा नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया था. पिछले दिनों मणिपुर में पूरे मानव समाज को शर्मसार करने वाली घटना और मध्यप्रदेश पेशाब कांड को लेकर आज आदिवासी दिवस पर काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रदर्शन किया. अन्य वक्ताओं ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी ही प्रकृति के रक्षक हैं. हमारी संस्कृति ही आदिवासी की पहचान है. इसलिए हम जल, जंगल एवं जमीन की रक्षा करें. सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रखंड के विभिन्न गांव से आये टीम के बीच आदिवासी नृत्य मुकाबला हुआ. साथ ही 11 बच्चों के बीच आदिवासी फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया. मंच का संचालन चटकपुर यूथ ने किया. इस मौके पर फादर दिलीप एक्का, अजीत पॉल कुजूर, विनोद उरांव, प्रखंड प्रमुख कंचन कुजूर, उप प्रमुख अभय मिंज, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इफ्तेखार अहमद एवं सभी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि एवं ग्रामीण मौजूद थे.

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गिरिडीह में लोकनृत्य की प्रस्तुति ने बांधा समां

वहीं, गिरिडीह के बनहत्ती स्थित स्कॉलर बीएड कॉलेज में आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर आदिवासी समाज के महानुभाव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया. इस दौरान प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं के द्वारा लोकनृत्य की भी प्रस्तुति की गयी. लोकनृत्य की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में चार – चांद लगा दिया. इस मौके पर प्रिंसिपल डाॅ शालीनी खोवाला ने विश्व आदिवासी दिवस पर बधाई व सम्मान देते हुए सभी आदिवासी समाज के लोगों के संघर्ष, समृद्धियों एवं योगदानों को याद दिलाते हुए सामाजिक न्याय एवं समानता के प्रति अपने कर्तव्यों को याद दिलाया. उन्होंने कहा कि धरती पर जितने भी समुदाय के लोग हैं सबके साथ समरसता के साथ रहना हमारा दायित्व है. इसे केवल दिवस के रूप में न मनायें, बल्कि इसे अपने जीवन में आत्मसात कर जीवन को परिवर्तित करें.

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सात दिवसीय कार्यशाला का समापन

इस मौके पर भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसका विषय भारत के स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड के आदिवासी महानायकों का योगदान था. जिसमें निर्णायक की भूमिका में डीएलएड प्रभारी हरदीप कौर व सुधांशु शेखर जमैयार शामिल थे. इस प्रतियोगिता में काफी संख्या में प्रशिक्षुओं ने भाग लिया. प्रतियोगिता में बेहतर करने पर पवन कुमार पंडित को प्रथम व पुजा वर्मा को द्वितीय पुरस्कार दिया गया. वहीं निबंध प्रतियोगिता में बेहतर करने पर आनंद कुमार वर्मा को पुरस्कृत किया गया. इस दौरान कॉलेज में आयोजित आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला का भी समापन किया गया. मौके पर प्रवीण कुमार मिश्रा के अलावे कॉलेज के तमाम व्याख्यता, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, प्रशिक्षु छात्र-छात्राएं मौजूद थे.

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