जेब में दुश्मन लिये घूम रहे हैं आप? ऐप्स कर रहे जासूसी
App Data Theft Safety Tips: आपके फोन के ऐप्स चुपके से जानकारी चुरा सकते हैं. साइबर एक्सपर्ट्स की सलाह से जानें डेटा सुरक्षित रखने के तरीके
App Data Theft Safety Tips:आज के डिजिटल दौर में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके फोन में छिपे कुछ ऐप्स चुपके से आपकी निजी जानकारी पर नजर रख सकते हैं? साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये ऐप्स आपकी लोकेशन से लेकर संदेशों तक सब कुछ चुरा रहे हैं, जिससे आपकी प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है. लेकिन थोड़ी सतर्कता से आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.
ऐप्स कैसे चुराते हैं आपका डेटा?
साइबर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ऐप्स सीधे और घुमावदार तरीकों से यूजर्स की जानकारी हासिल करते हैं. वे आपकी लोकेशन, कॉन्टैक्ट लिस्ट, कैमरा ऐक्सेस, कॉल रिकॉर्ड, तस्वीरें, हेल्थ डिटेल्स, मैसेज और यहां तक कि माइक्रोफोन तक पहुंच बनाते हैं. डिजिटल बाजार में डेटा ही सबसे कीमती चीज है, जहां यूजर खुद एक प्रोडक्ट बन जाता है. कंपनियां इस जानकारी को शेयर करके कमाई करती हैं, जिससे ऐड्स और सर्विसेज में एक्यूरेसी बढ़ती है.
ऐप डाउनलोड से पहले सावधानियां जरूरी
अपने फोन में किसी ऐप को जगह देने से पहले उसकी शर्तें और प्राइवेसी पॉलिसी को बारीकी से चेक करें. एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि ऐप आपके डेटा को कैसे इस्तेमाल करेगा, यह समझना जरूरी है. यूजर्स के फीडबैक पढ़ें और अगर कुछ संदेहास्पद लगे तो तुरंत दूर रहें. केवल गूगल या ऐपल के ऑफिशियल स्टोर से ही ऐप्स लें, लेकिन पहले से इंस्टॉल ऐप्स पर भी नजर रखें, जो आसानी से नहीं हटते. याद रखें, फ्री सर्विसेज कभी फ्री नहीं होतीं, वे आपके डेटा के बदले आती हैं. इंस्टॉलेशन के दौरान केवल जरूरी परमिशन्स दें, बाकी सब बंद रखें.
डेटा चोरी का क्या असर पड़ता है?
एक बार जानकारी इकट्ठी हो जाए, तो कंपनियां आपकी पूरी प्रोफाइल तैयार कर लेती हैं, आपकी पसंद-नापसंद, खान-पान से लेकर शॉपिंग की आदतें तक. यह डेटा अन्य फर्मों को बेचा जाता है, जिससे आपकी डिवाइस पर पर्सनलाइज्ड ऐड्स आने लगते हैं. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अगर आप किसी जगह का जिक्र करें, तो उसी से जुड़े ऑफर आपके फोन पर आने लगते हैं. डेटा अब करेंसी जैसा है, जो कंपनियों को लाभ पहुंचाता है लेकिन यूजर्स को निशाना बना सकता है.
डेटा चोरी का पता लगाएं और बचाव करें
अपने फोन में डेटा लीक का पता लगाने के लिए ऐप की परमिशन्स को समय-समय पर चेक करते रहें कि क्या वे ऐप के असल काम से मेल खाती हैं? अगर नहीं, तो उन्हें तुरंत रद्द करें. कानूनी नजरिये से भारत में प्राइवेसी मौलिक अधिकार है, और हालिया फैसलों ने डेटा शेयर करने पर सवाल उठाए हैं. हालांकि नया डेटा सुरक्षा कानून अभी लागू नहीं हुआ है. सुरक्षा के लिए साइबर हाइजीन अपनाएं- डेटा कम शेयर करें, बैकअप रखें, मजबूत एंटीवायरस इस्तेमाल करें और फायरवॉल एक्टिव रखें. हमेशा अलर्ट रहें, क्योंकि आपकी सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है.
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