जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू हो सकता है विस का शीतकालीन सत्र

बुधवार को विधानसभा में आयोजित फ्लावर शो के उद्घाटन समारोह में विपक्षी दल भाजपा का कोई भी विधायक उपस्थित नहीं था.

By GANESH MAHTO | December 25, 2025 1:35 AM

कोलकाता. मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआइआर) पर सुनवाई समाप्त होने के बाद राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू हो सकता है. यह जानकारी विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने बुधवार को विधानसभा परिसर में आयोजित पुष्प प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह के दौरान दी.

स्पीकर ने कहा कि एसआइआर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही विधानसभा सत्र बुलाया जायेगा. उन्होंने उम्मीद जतायी कि नये वर्ष में होने वाला यह सत्र शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होगा. उल्लेखनीय है कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र सामान्यतः हर साल नवंबर से दिसंबर के बीच आयोजित किया जाता है, लेकिन इस वर्ष मतदाता सूची संशोधन के चलते यह सत्र अब तक नहीं हो सका.

स्पीकर बिमान बनर्जी ने बताया कि एसआइआर प्रक्रिया के कारण कई विधायकों ने सत्र बुलाने पर आपत्ति जतायी थी, क्योंकि सत्र के दौरान वे मतदाता सूची संशोधन कार्य में हिस्सा नहीं ले पाते. विधायकों की इस अपील को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष शीतकालीन सत्र स्थगित रखा गया. हालांकि, शीतकालीन सत्र के कुछ ही दिनों बाद विधानसभा का बजट सत्र शुरू होगा, जिसमें सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी. इसके बाद चुनाव की घोषणा होने की संभावना है.

बुधवार को विधानसभा में आयोजित फ्लावर शो के उद्घाटन समारोह में विपक्षी दल भाजपा का कोई भी विधायक उपस्थित नहीं था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पीकर ने कहा कि हर वर्ष इस कार्यक्रम में सभी दलों को आमंत्रित किया जाता है. उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि भाजपा विधायक कार्यक्रम में क्यों शामिल नहीं हुए. विपक्ष की अनुपस्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि इसके कारणों का जवाब विपक्ष ही दे सकता है.

आगामी जनवरी में प्रस्तावित शीतकालीन सत्र को लेकर स्पीकर ने उम्मीद जतायी कि सरकार और विपक्ष, दोनों ही पक्ष सत्र में भाग लेंगे और विधानसभा का कार्य सुचारू रूप से चलेगा. क्रिसमस की पूर्व संध्या पर उन्होंने सरकार और विपक्ष के सभी सदस्यों को नये साल और क्रिसमस की शुभकामनाएं भी दीं.

बांग्लादेश से जुड़े मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए स्पीकर बिमान बनर्जी ने कहा कि अब यह सोच नहीं रहनी चाहिए कि हमारे पूर्वज बांग्लादेशी थे. उन्होंने उम्मीद जतायी कि बांग्लादेश सरकार इस विषय पर विचार करेगी और केंद्र सरकार भी आवश्यक कदम उठायेगी. उन्होंने कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों का समाधान आपसी बातचीत के जरिये ही संभव है.

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