लापरवाही के आरोपी नर्सिंग होम पर तीन लाख जुर्माना
दक्षिण 24 परगना जिले में एक नर्सिंग होम पर वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
नर्सिंग होम प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है हेल्थ कमीशन
सीएमएचओ को जांच करने का भी दिया गया है आदेश
संवाददाता, कोलकाता.
दक्षिण 24 परगना जिले में एक नर्सिंग होम पर वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं, चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में विस्तृत जांच के लिए डायमंड हार्बर के जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को जांच करने का आदेश दिया है. यह जानकारी कमीशन के चेयरमैन एवं पूर्व जस्टिस असीम कुमार बनर्जी ने दी.
इस मामले की सुनवाई सोमवार को हुई. इस संबंध में असीम कुमार बनर्जी ने बताया कि पांच वर्षीय इप्शिता माइति का हाथ टूट गया था. उसे पहले एक स्थानीय झोला छाप डॉक्टर को दिखाया गया. इसके बाद उसे इलाज के लिए काकद्वीप नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां बच्ची हाथ का प्लास्टर किया गया, पर प्लास्टर इतना सख्त किया गया था कि बच्ची के हाथ में काफी दर्द रह रहा था. प्लास्टर किये जाने के बाद दूसरे दिन उसे खोलना पड़ा. इसके बाद बच्ची काे डायमंड हार्बर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, जहां से उसे पीजी के ट्रॉमा केयर में रेफर किया गया, जहां बच्ची की तीन बार सर्जरी की गयी. इस मामले में हेल्थ कमीशन में परिवार की ओर से शिकायत की गयी थी. ऐसे में सुनवाई के दिन नर्सिंग होम के प्रतिनिधि को उपस्थित रहने को कहा गया था, पर नर्सिंग होम के प्रतिनिधि नहीं आये.
इस मामले में कमीशन ने अपने विशेषज्ञ से भी सुझाव लिया है. आयोग के विशेषज्ञ डॉ नंदी ने सुझाव दिया है कि बच्ची के हाथ पूरी तरह से कार्य नहीं करेंगे. उसे दिव्यांग सर्टिफिकेट दिया जाये. श्री बनर्जी ने बताया कि पीजी के चिकित्सकों ने हाथ तो बचा लिया है, पर बच्ची अब दिव्यांग हो चुकी है. उधर, नर्सिंग होम प्रबंधन इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा है. इसलिए कमीशन ने नर्सिंग होम पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही डायमंड हार्बर के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को जांच करने का निर्देश दिया है. जांच रिपोर्ट मिलने पर कमीशन नर्सिंग होम के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कर सकता है. उधर, तीन लाख रुपये बच्ची की मां को दिये जाने का निर्देश दिया गया है. साथ ही इस राशि को बच्ची के नाम पर फिक्स डिपॉजिट के तौर पर अभिभावकों को रखने का निर्देश दिया गया है. उक्त रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग दोबारा इस मामले की सुनवाई करेगा.
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