विधानसभा में अब तृणमूल विधायकों के साथ नहीं बैठ पायेंगे हुमायूं कबीर

राज्य विधानसभा में बड़ा बदलाव होने वाला है. तृणमूल कांग्रेस ने अपने बागी विधायक हुमायूं कबीर को लेकर सख्त फैसला लिया है. पार्टी से सस्पेंड किये जाने के बाद अब विधानसभा के अंदर उनकी सीट बदली जा सकती है.

By BIJAY KUMAR | December 8, 2025 11:24 PM

कोलकाता.

राज्य विधानसभा में बड़ा बदलाव होने वाला है. तृणमूल कांग्रेस ने अपने बागी विधायक हुमायूं कबीर को लेकर सख्त फैसला लिया है. पार्टी से सस्पेंड किये जाने के बाद अब विधानसभा के अंदर उनकी सीट बदली जा सकती है. हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद जैसी मस्जिद का शिलान्यास किया था. इस विवादित फैसले के बाद पार्टी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था. तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी आलाकमान इस मामले को गंभीरता से ले रहा है. शीतकालीन सत्र से पहले उनकी जगह बदल दी जायेगी. राज्य विधानसभा में तृणमूल के चीफ व्हिप निर्मल घोष ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि पार्टी पूरी स्थिति पर नजर रख रही है. अगले कुछ दिनों में कबीर समेत सस्पेंड किये गये दूसरे विधायकों के बैठने की व्यवस्था पर फैसला हो जायेगा. हुमायूं कबीर को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए सस्पेंड किया गया है. तृणमूल संसदीय दल चाहता है कि आने वाले शीतकालीन और अंतरिम बजट सत्र से पहले यह बदलाव हो जाये. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है. ऐसे में पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. पार्थ चटर्जी के बगल में मिल सकती है जगह : सूत्रों के मुताबिक, हुमायूं कबीर को विधानसभा में पार्थ चटर्जी के बगल में बैठाया जा सकता है. पार्थ चटर्जी भी तृणमूल के सस्पेंड विधायक हैं. उन्हें स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) नियुक्ति घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार किया था. इसके बाद 2022 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. कबीर और पार्थ चटर्जी दोनों ने ही हाल ही में कस्टडी से रिहा होने के बाद सत्र में शामिल होने की इच्छा जतायी है. पार्टी चाहती है कि इन दोनों को बाकी विधायकों से अलग बैठाया जाये. तृणमूल के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह कदम एक सोची-समझी स्ट्रैटेजी है.

पार्टी बागी विधायक से सुरक्षित दूरी बनाये रखना चाहती है. डर है कि हुमायूं कबीर सत्र के दौरान पार्टी को शर्मिंदा करने की कोशिश कर सकते हैं. इसलिए उन्हें वफादार विधायकों से दूर बैठाने का प्लान है. अगले साल चुनाव होने हैं और विधानसभा भंग होने में बस कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में तृणमूल अनुशासन बनाये रखने के लिए हर संभव कदम उठा रही है.

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