कोलकाता में बीएलओ ने किया विरोध प्रदर्शन सीईओ कार्यालय में घुसने की कोशिश, हंगामा
बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने सोमवार को यहां जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने सीइओ कार्यालय में घुसने की कोशिश की, जिससे पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की स्थिति पैदा हो गयी. पुलिस ने उन्हें घसीटकर वहां से हटाया.
कोलकाता
. बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने सोमवार को यहां जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने सीइओ कार्यालय में घुसने की कोशिश की, जिससे पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की स्थिति पैदा हो गयी. पुलिस ने उन्हें घसीटकर वहां से हटाया. उत्तर कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से निकाले गये जुलूस में बीएलओ ने ताले और बेड़ियों के साथ प्रतीकात्मक प्रदर्शन करते हुए सीइओ कार्यालय के मुख्य द्वार को बंद करने का प्रयास किया. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने अत्यधिक और अमानवीय कार्य दबाव को लेकर दर्ज की गयी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया.काम का दबाव असहनीय होने का आरोप : बीएलओ अधिकार रक्षा समिति के सदस्यों का कहना है कि उन्हें कम समय में वह काम पूरा करने का निर्देश दिया गया है, जो आमतौर पर दो साल से अधिक समय लेता है. एक पदाधिकारी ने दावा किया कि कई बीएलओ बीमार पड़ रहे हैं और तनाव के कारण दो अधिकारियों की मौत भी हो चुकी है. समिति ने चेतावनी दी कि समय-सीमा नहीं बढ़ायी गयी तो निरंतर विरोध कार्यक्रम शुरू किया जायेगा. एक अन्य संगठन बीएलओ एक्य मंच ने गणना प्रपत्रों के डिजिटलीकरण से जुड़ी समस्याओं को उठाया और अतिरिक्त सहायक कर्मचारियों की मांग की.
किसी भी दबाव में नहीं रुकेगा एसआइआर का काम : आयोगआयोग सूत्रों ने दबाव के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बंगाल में हर बीएलओ औसतन 250 परिवारों और 900 से 1,000 वोटरों की जिम्मेदारी संभालते हैं. आयोग के अनुसार राज्य में सोमवार सुबह तक 60 फीसदी डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका था और मंगलवार रात तक यह 85 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है. चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि किसी भी दबाव में एसआइआर का काम रोका नहीं जा सकता.
एसआइआर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये आयोग : तृणमूल सांसदतृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले ने कहा कि यदि निर्वाचन आयोग वास्तव में स्वतंत्र है, तो उसे बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और एसआइआर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए.
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