तकनीकी कारणों से जिन लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं हैं, उनकी सुनवाई रुकी, अब क्या होगा?

SIR Hearing Bengal: आयोग ने स्पष्ट कहा है कि यदि बाद के चरण में चाहे वर्ष 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी की जांच के दौरान या शिकायतें प्राप्त होने पर, विसंगतियों का पता चलता है, तो संबंधित मतदाताओं को नोटिस जारी करने के बाद सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है.

By Mithilesh Jha | December 30, 2025 6:15 AM

SIR Hearing Bengal: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 से पहले हो रहे मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए चलाये जा रहे विशेष पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) को फिलहाल रोक दिया गया है. ऐसे में लोगों को यह चिंता सताने लगी है कि अब उनका क्या होगा? दरअसल, निर्वाचन आयोग ने राज्य के जिला चुनाव अधिकारियों को नया निर्देश जारी कर कहा है कि मौजूदा एसआईआर प्रक्रिया के दौरान वर्ष 2002 की मतदाता सूचियों के डिजिटलीकरण में तकनीकी समस्याओं के कारण बीएलओ ऐप में जो मतदाता छूट गये हैं, उन्हें सुनवाई के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए.

सीईओ कार्यालय ने कहा- ऐप में लिंकिंग में आ रही है समस्या

पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय से जारी निर्देश में कहा गया है कि यह समस्या वर्ष 2002 की मतदाता सूची के पीडीएफ संस्करण को सीएसवी (अल्पविराम पृथक मान) प्रारूप में पूरी तरह से परिवर्तित नहीं कर पाने के कारण हुई है. इसलिए कई मतदाताओं के लिए बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) ऐप में ‘लिंकिंग’ में समस्या आ रही है.

सत्यापन से जुड़े अधिकारियों के लिए जारी किया गया ये निर्देश

आयोग ने कहा है कि सिस्टम में ‘दर्ज नहीं’ के रूप में चिह्नित होने के बावजूद ऐसे कई मतदाताओं का वर्ष 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी के साथ वैध स्व-पहचान या वंशज संबंध है, जिसे जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) द्वारा विधिवत प्रमाणित किया गया है और सीईओ की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है. ऐसे मामलों में स्वचालित रूप से उत्पन्न होने वाले सुनवाई नोटिसों को तामील करने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें चुनावी पंजीकरण अधिकारी (इआरओ) या सहायक चुनावी पंजीकरण अधिकारी (एइआरओ) के स्तर पर रख लिया जाना चाहिए.

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SIR Hearing Bengal: निर्वाचन आयोग ने जारी किया ये निर्देश

निर्देशों के अनुसार, वर्ष 2002 की मतदाता सूची के अंश को संबंधित जिला चुनाव अधिकारी (डीइओ) को चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार सत्यापन के लिए भेजे जा सकते हैं. सत्यापन के बाद इआरओ या एइआरओ उचित निर्णय ले सकते हैं और मामलों के निबटारे के लिए आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं. इस निर्देश में बीएलओ को क्षेत्र सत्यापन के लिए नियुक्त करने की अनुमति भी दी गयी है, जिसमें संबंधित मतदाताओं की तस्वीरें लेना और उन्हें सिस्टम में अपलोड करना शामिल है. सीईओ कार्यालय के अधिकारी ने कहा कि फिलहाल के लिए यह निर्देश है. यदि किसी मामले में तनिक भी सुनवाई की आवश्यकता महसूस होती है, तो वह सत्यापन के बाद ही की जायेगी.

विसंगतियों का पता चलने पर फिर से भेजा जायेगा नोटिस

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बाद के चरण में चाहे वर्ष 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी की जांच के दौरान या शिकायतें प्राप्त होने पर, विसंगतियों का पता चलता है, तो संबंधित मतदाताओं को नोटिस जारी करने के बाद सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है.

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