हुमायूं के पार्टी बनाने से तृणमूल को होगा घाटा

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने रविवार को बड़ा राजनीतिक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर भरतपुर के विधायक व तृणमूल कांग्रेस नेता हुमायूं कबीर नयी पार्टी बनाते हैं, तो उसका सीधा नुकसान सत्तारूढ़ दल को होगा.

By BIJAY KUMAR | November 9, 2025 10:56 PM

कोलकाता/हल्दिया.

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने रविवार को बड़ा राजनीतिक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर भरतपुर के विधायक व तृणमूल कांग्रेस नेता हुमायूं कबीर नयी पार्टी बनाते हैं, तो उसका सीधा नुकसान सत्तारूढ़ दल को होगा. अधिकारी ने दावा किया कि मुर्शिदाबाद में तृणमूल की जड़ें उन्होंने मजबूत की थीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नहीं.इस दिन अधिकारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कई लोगों को भेजकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुर्शिदाबाद में तृणमूल को स्थापित नहीं कर सकीं. मैंने ही वहां संगठन खड़ा किया था. अगर हुमायूं कबीर नयी पार्टी बनाते हैं, तो 22 सीटों पर कांग्रेस-माकपा गठबंधन और भाजपा जीत जायेगी. पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक सफर और मुर्शिदाबाद में तृणमूल के संगठन के विस्तार की पूरी कहानी भी सुनाई. उन्होंने कहा कि 1998 में जब तृणमूल कांग्रेस की स्थापना हुई, उस समय मुर्शिदाबाद में पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं था. तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने मुकुल राय, पूर्णेंदु बसु और इंद्रनील सेन सहित कई लोगों को भेजकर कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. 2005 से मुझे इंद्रनील के सहयोगी के रूप में काम करने का मौका मिला और 2016 में ममता ने मुझे पूरा दायित्व दिया. मैंने ही मुर्शिदाबाद को ‘तृणमूलमय’ बनाया. इसमें सुश्री बनर्जी का कोई श्रेय नहीं है. अधिकारी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गयी है. एक ओर भाजपा इसे तृणमूल के अंदरूनी मतभेद के रूप में देख रही है, वहीं, तृणमूल ने इस पर चुप्पी साध ली है. कांग्रेस नेता सौम्य आइच राय ने अधिकारी पर तंज कसते हुए कहा कि लगता है, शुभेंदु अधिकारी का तृणमूल प्रेम फिर से जाग उठा है. अब वह तृणमूल के अच्छे-बुरे का विश्लेषण करने लगे हैं. हम तो हमेशा कहते हैं कि तृणमूल का मतलब भाजपा और भाजपा का मतलब तृणमूल. झंडे अलग हो सकते हैं, पर दोनों की जड़ आरएसएस से ही जुड़ी है. इसलिए अधिकारी इन्हें अच्छी तरह पहचानते हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अधिकारी का यह बयान दो संकेत देता है. पहला, एक तरफ यह तृणमूल के भीतर के पुराने मतभेदों को उजागर करता है. दूसरा, यह साफ करता है कि अगर हुमायूं कबीर अलग पार्टी बनाते हैं, तो मुर्शिदाबाद में तृणमूल का अल्पसंख्यक वोट बैंक टूट सकता है. फिलहाल अधिकारी के इस बयान के बाद बंगाल की राजनीति में कबीर की संभावित नयी पार्टी को लेकर चर्चाएं और तेज हो गयी हैं.

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