2040 तक मनुष्य को चांद पर भेजने का है भारत का लक्ष्य, कोलकाता में बोले शुभांशु शुक्ला

Shubhanshu Shukla in Kolkata : शुभांशु शुक्ला ने कहा कि अभी जो टेस्ट मिशन चल रहे हैं, उनकी प्रगति के आधार पर आखिरी तारीख तय की जायेगी. अभी मैं इतना कह सकता हूं कि हम लक्ष्य तक पहुंच जायेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगले 10 से 20 सालों में स्पेस एक्सप्लोरेशन के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने वाला है, जिसे अपनी आंखों से देखना बहुत ही रोमांचक अनुभव होगा.

By Mithilesh Jha | December 10, 2025 8:38 PM

Shubhanshu Shukla in Kolkata: पश्चिम बंगाल की राजदानी कोलकाता में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री, एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को कोलकाता में कहा कि अंतरिक्ष की दुनिया में नयी पहचान बनाने के लिए भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. ‘बड़े और साहसिक सपने’ देख रहा है. इंडियन सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से कहा कि वर्ष 2040 तक चांद पर मनुष्य भेजने की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है.

भारत ने स्पेस साइंस में बड़े और बोल्ड लक्ष्य तय किये – शुभांशु

उन्होंने कहा कि एक देश के तौर पर भारत ने स्पेस साइंस में कुछ बड़े और बोल्ड लक्ष्य तय किये हैं. इनमें गगनयान मिशन, इंडियन स्पेस स्टेशन का निर्माण और चांद पर मनुष्य को भेजना शामिल है. मिशन की समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि स्पेस मिशन बहुत मुश्किल होते हैं. अभी कोई पक्की तारीख बताना मुश्किल है. हालांकि, वर्ष 2040 को लक्ष्य मानकर काम आगे बढ़ रहा है.

टेस्ट मिशन के आधार पर तय होगी आखिरी तारीख – शुक्ला

शुभांशु शुक्ला ने कहा कि अभी जो टेस्ट मिशन चल रहे हैं, उनकी प्रगति के आधार पर आखिरी तारीख तय की जायेगी. अभी मैं इतना कह सकता हूं कि हम लक्ष्य तक पहुंच जायेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगले 10 से 20 सालों में स्पेस एक्सप्लोरेशन के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने वाला है, जिसे अपनी आंखों से देखना बहुत ही रोमांचक अनुभव होगा.

18 दिन के मिशन के बाद भारत लौटे थे शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला एक्जिओम-4 मिशन के हिस्से के तौर पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय हैं. वह 18 दिन के मिशन के बाद 17 अगस्त, 2025 को अमेरिका से भारत लौटे.

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रहने के लिए शानदार जगह है स्पेस – शुभांशु शुक्ला

इंडियन सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स में आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्पेस ‘रहने के लिए एक शानदार जगह’ है. वहां गहरी शांति और ‘अद्भुत नजारा’ है. यह समय के साथ और भी मनमोहक होता जाता है. शुक्ला ने कहा कि आप जितने ज्यादा समय तक वहां रुकेंगे, आपको उतना ही ज्यादा मजा आयेगा.

Shubhanshu Shukla in Kolkata: ट्रेनिंग के अनुभवों से बहुत अलग था स्पेस में रहना

हल्के-फुल्के अंदाज में शुभांशु ने कहा कि वह असल में वापस नहीं आना चाहते थे. स्पेस में रहने का प्रैक्टिकल अनुभव ट्रेनिंग के अनुभवों से बहुत अलग था. उन्होंने कहा कि जो अनुभव मिला है, वह एक नेशनल एसेट है.

कोलकाता के इंडियन सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स में अधिकारियों के साथ शुभांशु शुक्ला. फोटो : प्रभात खबर

रोजगार के अवसर पैदा करेगा ह्यूमन स्पेसफ्लाइट

शुभांशु शुक्ला ने कहा कि जैसे-जैसे भारत अपनी ह्यूमन स्पेसफ्लाइट क्षमताओं को बढ़ायेगा, यह सेक्टर रोजगार के बहुत सारे मौके पैदा करेगा. शुक्ला ने यह भी कहा कि यह कामयाबी अकेले उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश की है.

2047 तक विकसित भारत बनाने की जिम्मेदारी भारत के युवाओं पर

उन्होंने कहा कि भारत के युवा काफी प्रतिभाशाली हैं. उन्हें अपने लक्ष्य के प्रति ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जिज्ञासु बने रहना चाहिए और लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक एक विकसित भारत बनने में देश के युवाओं के कंधों पर ही पूरी जिम्मेदारी है.

गांव का बच्चे में भी विश्वास पैदा करता है स्पेश मिशन

उन्होंने कहा कि गगनयान और भविष्य के मिशन के साथ भारत में बच्चे न केवल एस्ट्रोनॉट बनने का सपना देख पायेंगे, बल्कि देश के अंदर इसे हासिल भी कर पायेंगे. स्पेस मिशन एक गांव के बच्चे में भी यह विश्वास पैदा करता है कि वह भी एक दिन स्पेस में जा सकता है. जब आप एक व्यक्ति को स्पेस में भेजते हैं, तो आप लाखों उम्मीदें जगाते हैं. इसलिए ऐसे प्रोग्राम जारी रहने चाहिए.

20-30 साल तक चलने वाला सिस्टम तैयार करें वैज्ञानिक

शुभांशु ने कहा कि साइंटिस्ट्स को ऐसे सिस्टम के लिए तैयार रहना चाहिए, जो 20-30 साल तक चले. साथ ही यह भी पक्का करना चाहिए कि वे ऐसी टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट कर सकें, जो अब से एक दशक बाद सामने आयेंगी. शुक्ला ने आगे कहा कि वह भविष्य में और भी स्पेस मिशन का इंतज़ार कर रहे हैं. और स्पेस वॉक करने के लिए उत्सुक हैं.

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