नागरिकता सुनिश्चित होने के बाद ही मिलेगा वोट का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट
भारत की नागरिकता सुनिश्चित होने के बाद ही वोटिंग का अधिकार मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मतुआ समुदाय से संबंधित एक मामले की सुनवाई में यह स्पष्ट कर दिया है.
संवाददाता, कोलकाता
भारत की नागरिकता सुनिश्चित होने के बाद ही वोटिंग का अधिकार मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मतुआ समुदाय से संबंधित एक मामले की सुनवाई में यह स्पष्ट कर दिया है. संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले मतुआ समुदाय के लोगों को मतदान करने का अधिकार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक नागरिकता सुनिश्चित नहीं हो जाती, तब तक वोट का अधिकार नहीं दिया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद पश्चिम बंगाल में सीएए के लिए आवेदन करने वालों के वोटिंग अधिकार का भविष्य फिर से संकट में आ गया है. भारत निर्वाचन आयोग का कहना है कि जो लोग भारत के नागरिक नहीं हैं और उनकी नागरिकता पर सवाल है, उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किया जा सकता. इसी मामले को लेकर संस्था ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, चुनाव आयोग की स्थिति पर वकील राकेश द्विवेदी ने साफ किया है कि नागरिकता तय करने में चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं है. इस बारे में जो भी फैसला लेना है, वह केंद्र सरकार लेगी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की पीठ ने इस बारे में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने एक सप्ताह के अंदर केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. सुनवाई अब अगले सप्ताह होगी.क्या है मामला
आत्मदीप नाम के एक स्वयंसेवी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि जो लोग नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 में बतायी गयी गाइडलाइन के अनुसार नागरिकता के लिए योग्य हैं, लेकिन जिनकी नागरिकता प्राप्त करने का आवेदन अभी भी लंबित है, उनको भी एसआइआर के बाद वोटर लिस्ट में शामिल किया जाये. नागरिकता संशोधन एक्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि जो लोग एक तय समय में भारत आये हैं, वे नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जिन लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है, उन्हें तब तक वोट देने का अधिकार नहीं मिल सकता, जब तक उनके आवेदनों का सत्यापन नहीं हो जाता और उन्हें भारत का नागरिक घोषित नहीं कर दिया जाता. इस दिन जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की पीठ ने साफ कर दिया कि पहले नागरिकता लेनी होगी और फिर वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने का मामला आयेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
