कंपनी का नाम बदलने से चेक बाउंस केस अमान्य नहीं : कोर्ट

कलकत्ता हाइकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि किसी शिकायतकर्ता कंपनी का नाम बाद में बदल भी जाये, तो केवल इसी आधार पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (एनआइ एक्ट), 1881 की धारा 138 के तहत शुरू की गयी कार्यवाही अमान्य नहीं होती.

By BIJAY KUMAR | November 17, 2025 11:01 PM

कोलकाता.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि किसी शिकायतकर्ता कंपनी का नाम बाद में बदल भी जाये, तो केवल इसी आधार पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (एनआइ एक्ट), 1881 की धारा 138 के तहत शुरू की गयी कार्यवाही अमान्य नहीं होती. न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने एक आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन (क्रिमिनल रिवीजनल एप्लीकेशन) को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. हाइकोर्ट ने सुपर इंडक्टो स्टील्स लिमिटेड और इसके एक निदेशक को चेक बाउंस मामले में निचली अदालतों द्वारा दी गयी सजा को बरकरार रखा. यह पुनरीक्षण याचिका इन्हीं दोनों द्वारा दायर की गयी थी. मामला वर्ष 2000 में हुए एक चेक बाउंस से जुड़ा है, जिसकी शिकायत अन्नपूर्णा कास्ट लिमिटेड (विपक्षी पक्ष संख्या 1) ने सुपर इंडक्टो स्टील्स लिमिटेड (याचिकाकर्ता संख्या 1) और उसके निदेशक (याचिकाकर्ता संख्या 2) के खिलाफ दर्ज करायी थी.हाइकोर्ट ने निचली अदालतों के आक्षेपित निर्णय और आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि दोष सिद्धि में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है. अदालत ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि फैसले की प्रति निचली अदालत को भेजी जाये, ताकि कानून के अनुसार याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आगे की आवश्यक कार्रवाई की जा सके.

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