बीएलए पर हमलों की घटनाओं के बाद केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रपति शासन लगाने की उठायी मांग
डॉ सुकांत मजूमदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर एसआइआर को लेकर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है.
कोलकाता. केंद्रीय मंत्री व प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ सुकांत मजूमदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर एसआइआर को लेकर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया के दौरान पार्टी के बूथ-स्तरीय एजेंटों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है. केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राज्य के कई हिस्सों में भाजपा के बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) पर हमले हो रहे हैं. हम इसके लिए अंत तक लड़ेंगे. अगर चुनाव आयोग इस सरकार के रहते एसआइआर नहीं कर सकता, तो इस सरकार को हटाकर एसआइआर करवाना चाहिए. उन्होंने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग उठायी. वहीं, सीएम पर एसआइआर को लेकर तंज कसते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से लोगों से एसआइआर प्रक्रिया में भाग न लेने का आग्रह किया था, जबकि उन्होंने स्वयं आवश्यक फॉर्म स्वीकार किये हैं. मजूमदार ने कहा कि उनके घर पर गणना फॉर्म पहुंचाये गये हैं और वह स्वयं लोगों से फॉर्म न भरने और एसआइआर में भाग न लेने के लिए कह रही हैं. यह पाखंड है जिसे बंगाल और देश की जनता पहले ही समझ चुकी है. केंद्रीय मंत्री ने शुक्रवार को राज्य के एक बीडीओ के खिलाफ हत्या की शिकायतों को लेकर राज्य पुलिस और प्रशासन पर सवाल खड़े किये. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि राजगंज के बीडीओ के खिलाफ हत्या की सीधी शिकायत दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. उन्होंने पूछा कि आखिर पुलिस इस अधिकारी का पता लगाने में क्यों नाकाम है? उक्त अधिकारी उत्तर बंगाल से पश्चिम मेदिनीपुर के दांतन तक गया, जहां उसने पीड़ित परिवार को धमकाया और बाद में सरकारी वाहन (नीली बत्ती लगी गाड़ी) का इस्तेमाल कर एक व्यवसायी का अपहरण कर हत्या कर दी. इतने गंभीर आरोपों और गैर-जमानती धाराएं लागू होने के बावजूद पुलिस अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. भाजपा नेता ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर निशाना साधते हुए लिखा, “जो पुलिस सालों से सत्तारूढ़ दल के इशारे पर आम नागरिकों और विपक्षी कार्यकर्ताओं पर अत्याचार करती रही, वही पुलिस अब इस मामले में चुप क्यों है?” उन्होंने आगे कहा, “क्या राज्य की कानून-व्यवस्था की मशीनरी ने पूरी तरह अपनी रीढ़ खो दी है?
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