‘बेदाग’ गैर-शिक्षण कर्मियों का विकास भवन तक मार्च
2016 की राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) में व्यापक अनियमितताएं पाये जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को पूरे पैनल को रद्द कर दिया था.
नयी परीक्षा प्रक्रिया में शामिल किये जाने का विरोध कोलकाता. राज्य प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत सैकड़ों ‘बेदाग’ गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने सोमवार को अपनी नौकरी बहाली की मांग को लेकर राज्य शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन तक मार्च किया. प्रदर्शनकारियों ने किसी भी नयी परीक्षा प्रक्रिया के दायरे में लाये जाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया. प्रदर्शन में शामिल गैर-शिक्षण कर्मचारी ‘समूह सी’ और ‘समूह डी’ श्रेणियों से संबंधित थे. इन कर्मचारियों का कहना है कि स्कूल नियुक्ति घोटाले में उनकी प्रत्यक्ष संलिप्तता कभी साबित नहीं हुई, इसके बावजूद संस्थागत भ्रष्टाचार के कारण उनकी आजीविका छिन गयी. गौरतलब रहे कि 2016 की राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) में व्यापक अनियमितताएं पाये जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को पूरे पैनल को रद्द कर दिया था. इसके चलते राज्य के 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द हो गयी थीं. बाद में उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को नये सिरे से भर्ती प्रक्रिया आयोजित करने और इसे पहले 31 दिसंबर 2025 तक, फिर बढ़ाकर 31 अगस्त 2026 तक पूरा करने का निर्देश दिया. अदालत ने इस अवधि तक 15,403 “दागी” शिक्षकों को काम जारी रखने की अनुमति दी थी. हालांकि, इस आदेश के बाद से गैर-शिक्षण कर्मचारियों को कोई राहत नहीं दी गयी. सोमवार को पुलिस ने यह कहते हुए प्रदर्शनकारियों को विकास भवन परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया कि रैली की अनुमति नहीं ली गयी थी और अधिकारियों से मुलाकात का कोई पूर्व निर्धारित समय भी नहीं था. इसके बाद प्रदर्शनकारी पास की सड़क पर धरने पर बैठ गये. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम नौ महीने से बिना वेतन के नौकरी से बाहर हैं. अगर योग्य और बेदाग शिक्षण कर्मचारी काम करते रह सकते हैं, तो हम क्यों बाहर हैं? और जब हमारा नाम योग्य सूची में है, तो हमें दोबारा किसी परीक्षा में क्यों बैठना चाहिए?” प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे अपनी मांगें रखने के लिए स्कूल सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करना चाहते थे, लेकिन उन्हें शांतिपूर्ण मार्च करने से रोक दिया गया. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल 3,394 गैर-शिक्षण कर्मचारियों को ‘बेदाग’ श्रेणी में रखा गया है. 2016 के पैनल से जुड़ी नियुक्तियां रद्द होने के बाद इन सभी को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी.
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