बंगाल में एसआइआर नहीं, तो चुनाव नहीं : शुभेंदु

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरोध के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना की और कहा कि जब तक एसआइआर नहीं हो जाता, तब तक पश्चिम बंगाल में चुनाव नहीं होने चाहिए.

By BIJAY KUMAR | August 18, 2025 11:10 PM

कोलकाता.

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरोध के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना की और कहा कि जब तक एसआइआर नहीं हो जाता, तब तक पश्चिम बंगाल में चुनाव नहीं होने चाहिए. सोमवार को साल्टलेक स्थित भाजपा पार्टी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ””बिहार के बाद, इस राज्य और पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण या एसआइआर शुरू हो सकता है. हालांकि, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने यहां एसआइआर लागू करने का कड़ा विरोध किया है.””उन्होंने कहा कि हम एसआइआर पर भाजपा का रुख बिल्कुल स्पष्ट करना चाहते हैं. हमारी मांग है, ””””एसआइआर नहीं, तो चुनाव नहीं.”””” तृणमूल कांग्रेस जितना ज़्यादा विरोध करेगी, एसआइआर उतना ही लंबा खिंचेगा और सबको पता है कि इसे लंबा खींचने के क्या नतीजे होंगे. तृणमूल पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने आगे कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी अवैध नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना चाहती है.

श्री अधिकारी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस एसआइआर को लेकर बार-बार अदालत का दरवाजा खटखटा रही है. इससे पहले, सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में एसआइआर लागू करने के संबंध में अदालत का दरवाजा खटखटाया था. बाद में, राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय गयी और पक्षकार न होते हुए भी स्वतः संज्ञान लेते हुए चल रहे मामले में खुद को पक्षकार बना लिया. इसलिए यह स्पष्ट है कि वे मृत मतदाताओं की जगह डुप्लीकेट मतदाताओं, दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाताओं, बांग्लादेशी मुसलमानों और रोहिंग्याओं के नाम सूची में शामिल करना चाहते हैं. विपक्ष के नेता ने आगे कहा कि एसआइआर कोई नयी बात नहीं है. 2002 में जब पश्चिम बंगाल में एसआइआर हुआ था, तब 26 लाख नाम रद्द किये गये थे.

पुलिस अधिकारियों की पत्नियों के प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर उठाये सवाल : शुभेंदु अधिकारी ने पुलिस अधिकारियों की पत्नियों द्वारा किये गये संवाददाता सम्मेलन के संबंध में कहा कि हाल ही में कोलकाता प्रेस क्लब में पुलिस अधिकारियों की पत्नियों द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन और प्रेस कॉन्फ्रेंस स्वतःस्फूर्त नहीं था, बल्कि राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से आयोजित किया गया था. उन्होंने इस संबंध में तस्वीरें, वीडियो और कई साक्ष्य पेश करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीधे निशाना साधा. सोमवार को मीडिया से बातचीत में अधिकारी ने कहा कि गत नौ अगस्त को नबान्न अभियान आरजी कर पीड़िता के माता-पिता के आह्वान पर हुआ था. सभी राजनीतिक दलों को बुलाया गया था, लेकिन मुख्य रूप से भाजपा कार्यकर्ता और आम लोग ही सड़कों पर उतरे थे. श्री अधिकारी ने बताया कि ममता बनर्जी के नजदीकी पुलिस अधिकारी द्वारा एक संगठन ‘पश्चिम बंगाल पुलिस आवासीय महिलाबृंद’ तैयार कराया गया और इसी के जरिए कोलकाता पुलिस व पश्चिम बंगाल पुलिस वेलफेयर कमिटी ने प्रेस क्लब में कार्यक्रम आयोजित किया. श्री अधिकारी ने आगे कहा, “मेरे वकील ने नोटिस भेज दिया है, तीन दिन बीत चुके हैं. इस सप्ताह हम पुलिस और उनकी पत्नियों के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करेंगे. साथ ही राज्यपाल को पत्र लिखकर इन अधिकारियों पर सेवा नियमों के उल्लंघन की जांच की मांग करेंगे.”

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