दुआरे राशन : वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2021 की पश्चिम बंगाल दुआरे राशन योजना की वैधता से जुड़ीं याचिकाओं पर सुनवाई जनवरी 2026 तक के लिए टाल दी. इस योजना के तहत राज्य सरकार पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिये लाभार्थियों के घर-घर जाकर अनाज पहुंचाती है.

By BIJAY KUMAR | November 27, 2025 10:52 PM

कोलकाता.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2021 की पश्चिम बंगाल दुआरे राशन योजना की वैधता से जुड़ीं याचिकाओं पर सुनवाई जनवरी 2026 तक के लिए टाल दी. इस योजना के तहत राज्य सरकार पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिये लाभार्थियों के घर-घर जाकर अनाज पहुंचाती है. शीर्ष अदालत के न्यायाधीश विक्रमनाथ और न्यायाधीश संदीप मेहता की बेंच ने राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राकेश द्विवेदी के अनुरोध पर मामले की सुनवाई 15 जनवरी तक के लिए टाल दी. कपिल सिब्बल ने अलग-अलग राज्यों में एसआइआर से जुड़े मामले में अपनी पहले से तय व्यस्तता के कारण सुनवाई टालने का अनुरोध किया था, जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस की बेंच कर रही है. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 28 सितंबर 2022 के आदेश को चुनौती दी, जिसमें जस्टिस अनिरुद्ध रॉय और जस्टिस चित्तरंजन दास की डिवीजन बेंच ने इस योजना को नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट, 2013 (एनएफएसए 2013) के तहत अवैध और अल्ट्रा वायर्स बताया. यह देखा गया कि राज्य सरकार ने फेयर प्राइस शॉप डीलरों को लाभार्थियों के घर पर राशन बांटने के लिए मजबूर करके अपने अधिकार की सीमा पार कर दी है, जबकि एनएफएसए जैसे लागू एक्ट में ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया. कोर्ट ने कहा कि अगर एनएफएस एक्ट में केंद्र सरकार यानी संसद द्वारा लाभार्थियों को घर-घर जाकर अनाज पहुंचाने के लिए संशोधन किया जाता है या राज्य सरकार को ऐसी कोई शक्ति दी जाती है तभी राज्य सरकार ऐसी कोई योजना बना सकती है और उसे लागू एक्ट के अनुरूप कहा जा सकता है.

तलब है कि नवंबर 2022 में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने 28 सितंबर के फैसले से पहले की स्थिति बनाये रखने का आदेश दिया.

यह स्थिति आज तक बनी हुई है. डिवीजन बेंच का यह फैसला जून, 2022 में एक सिंगल जज जस्टिस कृष्णा राव के फैसले के बाद आया, जिन्होंने दुआरे राशन योजना की संवैधानिकता को सही ठहराया था और इसमें कोई गैर-कानूनी बात नहीं पायी थी. कलकत्ता हाइकोर्ट की एक और सिंगल बेंच की जस्टिस मौसुमी भट्टाचार्य ने भी इस स्कीम को सही ठहराया था.

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