लोकल ट्रेनों में धड़ल्ले से बिक रहे नकली मोआ
सर्दियों की शुरुआत के साथ दक्षिण 24 परगना का प्रसिद्ध जयनगर मोआ एक बार फिर बाजार में छा गया है, लेकिन इसके साथ ही नकली मोआ का खतरा भी तेजी से बढ़ने लगा है.
संवाददाता, कोलकाता
सर्दियों की शुरुआत के साथ दक्षिण 24 परगना का प्रसिद्ध जयनगर मोआ एक बार फिर बाजार में छा गया है, लेकिन इसके साथ ही नकली मोआ का खतरा भी तेजी से बढ़ने लगा है. लोकल ट्रेनों और शहर के विभिन्न इलाकों में 50 रुपये के पैकेट में नकली मोआ खुलेआम बेचे जा रहे हैं. असली उत्पादकों का कहना है कि इतनी कम कीमत में असली जयनगर मोआ बेच पाना संभव ही नहीं है. वे उपभोक्ताओं से अपील कर रहे हैं कि सस्ते और नकली उत्पादों से सावधान रहें, क्योंकि इससे जयनगर की असली पहचान को नुकसान हो रहा है.
इस बीच, जयनगर के कारखानों में असली मोआ बनाने की तैयारी पूरे जोर पर है. ठंड बढ़ते ही यहां दिन-रात उत्पादन का काम चल रहा है. कारोबारियों के अनुसार इस साल विदेशों से रिकॉर्ड ऑर्डर मिले हैं. सऊदी अरब, इंग्लैंड, जापान, यूरोप, अमेरिका और बांग्लादेश समेत कई देशों से मांग लगातार बढ़ रही है. देश के अलग-अलग शहरों से भी भारी संख्या में ऑर्डर आने के कारण मजदूरों पर अतिरिक्त काम का दबाव बना हुआ है.
जयनगर के प्रमुख व्यवसायी रंजीत कुमार घोष और बबलू घोष ने उत्पादन की तैयारी काफी पहले शुरू कर दी थी. उन्होंने आसपास के करीब दो हजार खजूर के पेड़ों से रस निकालने की व्यवस्था की है. इसी रस से बनने वाला नलेन गुड़ जयनगर मोआ की सबसे अहम सामग्री है. मोआ बनाने में कणकचूड़ धान की भूनी खोई, नलेन गुड़, खोया, काजू, किशमिश और घी का इस्तेमाल होता है. गुणवत्ता के आधार पर इसकी कीमत 500 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम तक जाती है, जिसमें लगभग 20 मोआ होते हैं.
असली उत्पादकों का कहना है कि जयनगर मोआ की पहचान इसकी खोई और शुद्ध नलेन गुड़ से होती है. लेकिन कई जगहों पर मरीशल धान की खोई और सस्ते गुड़ से तैयार नकली मोआ बेचे जा रहे हैं. ट्रेन, बाजार और फुटपाथों पर कम दाम में बिक रहे ये नकली मोआ असली कारोबारियों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. उनका कहना है कि बढ़ती नकली बिक्री से जयनगर के असली ब्रांड की साख पर खतरा मंडरा रहा है और प्रशासन को इसके खिलाफ कदम उठाने चाहिए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
