भूजल का कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिशों में जुटा निगम
उन्होंने सदन को बताया कि कोलकाता में प्रतिदिन 40 मिलियन गैलन पानी भूगर्भ से लिया जाता है.
कोलकाता. भू-जल का कम से कम दोहन करने की कोशिशों में कोलकाता नगर निगम जुटा हुआ है. भू-जल इस्तेमाल को सीमित करने के लिए निगम की कोशिश जारी है. इस संबंध में शुक्रवार को निगम के मासिक अधिवेशन में कोलकाता के 12 नंबर वार्ड के तृणमूल पार्षद डॉ मीनाक्षी गंगोपाध्याय द्वारा प्रश्न काल में सवाल पूछा गया था. गौरतलब है कि मेयर फिरहाद हकीम निगम के जलापूर्ति विभाग के मेयर परिषद के सदस्य भी हैं इसलिए इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि कोलकाता में प्रतिदिन 515 मिलियन गैलन पेय जल की जरूरत है. जिसका 7.7 फीसदी पानी भूगर्भ से डीप ट्यूबवेल की मदद से निकाला जाता है. उन्होंने सदन को बताया कि कोलकाता में प्रतिदिन 40 मिलियन गैलन पानी भूगर्भ से लिया जाता है. वहीं इस भूजल का 35 फीसदी जल का इस्तेमाल दक्षिण कोलकाता के बोरो 10,11 और 12 में किया जाता है. जबकि, शेष 5 फीसदी भूजल का उपयोग दक्षिण कोलकाता के ही अन्य वार्ड के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा कि भूजल के दोहन को कम करने के लिए ही दक्षिण कोलकाता के धापा में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किया जा रहा है. 135 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले इस प्लांट में 20 मिलियन गैलन जल शोधन किया किया जायेगा. वहीं गरिया इलाके में 10 मिलियन गैलन क्षमता वाले ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य जारी है. इसके अलावा दक्षिण कोलकाता में और पांच मिलियन गैलन क्षमता वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का भी निर्माण कार्य जारी है. इस तीनों प्रोजेक्ट पर अनुमानित 280 करोड़ खर्च आयेगा. इसके अलावा दक्षिण कोलकाता के लिए ही 52 बूस्टर पंपिंग स्टेशन तैयार किये जा रहे हैं. जिसके निर्माण खर्च लिए अटल मिशन फॉर रीजूवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) योजना के तहत 330 करोड़ रुपये है. मेयर फिरहाद हकीम ने कहा कि उक्त सभी कार्यों के संपन्न होने से दक्षिण कोलकाता में जल संकट का नामोनिशान नहीं रहेगा और भूजल के दोहन में 5 फीसदी की कमी आयेगी.
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