वृद्धाश्रम में रहने वाले माता-पिता अचानक हुए मू्ल्यवान

वृद्धाश्रम में नदिया, बर्दवान और कोलकाता के 44 बुज़ुर्ग निवास कर रहे हैं. पहले, अधिकांश बुज़ुर्गों के बच्चे और नाती-पोते केवल छुट्टियों में ही उनसे मिलने आते थे, लेकिन अब लगभग हर दिन फोन कॉल आ रहे हैं और कई बच्चे सीधे आश्रम भी आ रहे हैं.

By BIJAY KUMAR | November 12, 2025 11:17 PM

कल्याणी.

राणाघाट स्थित जगदीश मेमोरियल वृद्धाश्रम में पिछले कुछ दिनों में बच्चों द्वारा अपने माता-पिता से मिलने की रुचि अचानक बढ़ गयी है. आश्रम के सचिव गौरहरि सरकार के अनुसार, यह बदलाव राज्य में हाल ही में लागू हुए एसआइआर के कारण हुआ है. वृद्धाश्रम में नदिया, बर्दवान और कोलकाता के 44 बुज़ुर्ग निवास कर रहे हैं. पहले, अधिकांश बुज़ुर्गों के बच्चे और नाती-पोते केवल छुट्टियों में ही उनसे मिलने आते थे, लेकिन अब लगभग हर दिन फोन कॉल आ रहे हैं और कई बच्चे सीधे आश्रम भी आ रहे हैं. रूमा देबनाथ, जो पिछले पांच सालों से वृद्धाश्रम में कार्यरत हैं, बताती हैं कि पहले लोग अपने माता-पिता की तलाश भी नहीं करते थे, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल गये हैं.वृद्धाश्रम में रहने वाले कई बुज़ुर्गों ने इस अचानक रुचि को लेकर मिली-जुली भावनाएं व्यक्त की हैं. कुछ अपने बच्चों का फोन सुनते ही भावुक हो जाते हैं, जबकि कई चुपचाप परिस्थितियों का अवलोकन कर रहे हैं. एसआइआर लागू होने के बाद बच्चों के लिए यह जरूरी हो गया है कि उनके माता-पिता का नाम मतदाता सूची में दर्ज हो.

कई बुज़ुर्गों ने स्वीकार किया कि बच्चों की इस अचानक रुचि के पीछे स्वार्थ भी छिपा है. गौरहरि सरकार के अनुसार, एसआइआर की वजह से बुज़ुर्गों की मौजूदगी और उनके दस्तावेज बच्चों के लिए महत्वपूर्ण हो गये हैं, जिससे आश्रम में रहने वाले माता-पिता अचानक ‘मूल्यवान’ बन गये हैं. अंततः, चाहे यह बदलाव कागज की प्रक्रिया की वजह से आया हो या नहीं, बुज़ुर्गों के चेहरे पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं इस नये सामाजिक परिदृश्य को दर्शा रही हैं.

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