बीएलए नियुक्ति नियमों में ढील का शुभेंदु अधिकारी ने किया स्वागत
राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार को नये दिशा-निर्देश जारी करते हुए बीएलए नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक लचीला बना दिया. अब किसी राजनीतिक दल का बीएलए बनने के लिए उसी बूथ का मतदाता होना अनिवार्य नहीं रहेगा.
कोलकाता.
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया के आठ दिन बाद चुनाव आयोग ने बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने के नियमों में संशोधन किया है. राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार को नये दिशा-निर्देश जारी करते हुए बीएलए नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक लचीला बना दिया. अब किसी राजनीतिक दल का बीएलए बनने के लिए उसी बूथ का मतदाता होना अनिवार्य नहीं रहेगा. नया नियम कहता है कि बीएलए संबंधित विधानसभा क्षेत्र का मतदाता हो सकता है. इससे पहले 2023 के दिशा-निर्देश के अनुसार, बीएलए को उसी बूथ का मतदाता होना जरूरी था, जहां उसे नियुक्त किया जाता था. राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने यह संशोधित दिशा-निर्देश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को भेज दिये हैं. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस फैसले का स्वागत किया. अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर उन्होंने लिखा, “राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने बूथ लेवल एजेंटों की नियुक्ति के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं. मैं आयोग के इस समयबद्ध निर्णय का स्वागत करता हूं. इससे सभी राजनीतिक दलों को लाभ मिलेगा.” वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने आयोग के इस फैसले पर नाराजगी जतायी है. पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इसे भाजपा और चुनाव आयोग के बीच सांठगांठ बताया. तृणमूल का कहना है कि भाजपा अपनी संगठनात्मक कमजोरी के कारण कई क्षेत्रों में बीएलए नियुक्त नहीं कर पायी. ऐसे में आयोग ने यह नया निर्देश भाजपा के हित में जारी किया है. तृणमूल नेताओं ने आरोप लगाया कि यह कदम एक बार फिर साबित करता है कि चुनाव आयोग वास्तव में भाजपा का अधीनस्थ संगठन बन चुका है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
