विस चुनाव से पहले तृणमूल नेताओं को शामिल करने से परहेज करेगी भाजपा

बीजेपी का फोकस जमीनी स्तर के टीएमसी कार्यकर्ताओं पर

By SANDIP TIWARI | November 25, 2025 1:06 AM

बीजेपी का फोकस जमीनी स्तर के टीएमसी कार्यकर्ताओं पर

वंशवाद का मुद्दा राज्यभर में उठाने की तैयारी

कोलकाता. पड़ोसी राज्य बिहार में प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद भाजपा अब आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है. राज्य में अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में होने वाले चुनावों को देखते हुए पार्टी ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. 2011 से सत्ता में काबिज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हटाने के लक्ष्य के साथ भाजपा नेतृत्व संगठन और अभियान दोनों मोर्चों पर तैयारियों में जुटा है.

भाजपा सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस के भीतर चल रही उठापटक पर पार्टी की नजर है, लेकिन इस बार चुनाव से पहले तृणमूल के नेताओं को भाजपा में शामिल करने की कोई योजना नहीं है. भाजपा नेताओं का मानना है कि चुनाव पूर्व इस तरह की आवाजाही आम बात है, लेकिन टीएमसी नेताओं को शामिल करने से भाजपा की राजनीतिक ताकत बढ़ने के बजाय कमजोर पड़ सकती है. उनका आकलन है कि इससे वोटों में कोई खास बढ़त नहीं मिलेगी. हालांकि, भाजपा तृणमूल के सक्रिय जमीनी कार्यकर्ताओं को साथ लाने को लेकर सकारात्मक है. पार्टी का मानना है कि ऐसे कार्यकर्ताओं के जुड़ने से संगठन का विस्तार और बूथ स्तर पर मजबूती मिल सकती है. इसी कारण भाजपा की निगाहें टीएमसी के स्थानीय स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं पर टिकी हुई हैं.

भाजपा ने चुनाव प्रचार में वंशवाद का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाने का निर्णय लिया है. पार्टी रणनीति से जुड़े एक नेता के अनुसार, बंगाल की राजनीति में अब तक वंशवाद की परंपरा नहीं रही है. न कांग्रेस में, न वाममोर्चा में. लेकिन अब पार्टी का आरोप है कि ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को आगे बढ़ाकर ‘वंशवाद थोप’ रही हैं. भाजपा का इरादा है कि इस मुद्दे को पूरे राज्य में लेकर जाया जाये और तृणमूल से सवाल पूछा जाये. भाजपा नेताओं का कहना है कि पश्चिम बंगाल में जातीय राजनीति का प्रभाव बहुत सीमित है और अन्य राज्यों की तरह जातीय ध्रुवीकरण व्यापक नहीं है. इसलिए पार्टी जातिगत समीकरणों के बजाय क्षेत्रीय समीकरणों और स्थानीय मुद्दों पर अधिक ध्यान देगी, ताकि चुनावी रणनीति को प्रभावी बनाया जा सके.

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