तृणमूल के शासन में औद्योगिक विकास नहीं
प्रदेश भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि 2011 में जब से तृणमूल सरकार बंगाल की सत्ता में आयी है, राज्य में औद्योगिक गतिविधियों में भारी गिरावट आयी है. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी ने दावा किया कि तृणमूल के शासन में बंगाल उद्योग व रोजगार के लिए जूझ रहा है.
कोलकाता.
प्रदेश भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि 2011 में जब से तृणमूल सरकार बंगाल की सत्ता में आयी है, राज्य में औद्योगिक गतिविधियों में भारी गिरावट आयी है. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी ने दावा किया कि तृणमूल के शासन में बंगाल उद्योग व रोजगार के लिए जूझ रहा है. राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को आयोजित किये जाने वाले बिजनेस सम्मेलन से एक दिन पहले प्रदेश भाजपा ने राज्य में उद्योग की स्थिति पर बुकलेट- ””पश्चिम बंगाल : औद्योगिकीकरण का कब्रिस्तान”” जारी किया, जिसमें इस बात पर जाेर दिया गया कि राज्य में रोजगार पैदा करने के लिए बड़े उद्योग स्थापित करना समय की जरूरत है. बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में बुकलेट जारी करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य शमिक भट्टाचार्य व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने ममता सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि बड़े औद्योगिक घरानों ने बंगाल छोड़ दिया है, जिससे राज्य में औद्योगिकीकरण की संभावनाओं को काफी नुकसान पहुंचा है.उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बंगाल में सिंगूर और नंदीग्राम में हुईं घटनाओं ने देश भर के उद्योगपतियों को गलत संदेश दिया है. उन्होंने इसके लिए सीएम ममता बनर्जी और तृणमूल को जिम्मेदार ठहराया. शुभेंदु ने कहा कि बंगाल को फिर से इंडस्ट्रियलाइज्ड करने का एकमात्र समाधान बड़े उद्योग स्थापित करना है. उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, जिसमें उद्योग के लिए किसानों से ली गयी जमीन पर बनने वालीं यूनिट्स में उन्हें मालिकाना हक दिया जाना चाहिए. शुभेंदु ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद ममता सरकार द्वारा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 2015 से कोलकाता में आयोजित वार्षिक बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट (बीजीबीएस) एक फ्लाप शो रहा है. उन्होंने दावा किया कि इन बीजीबीएस सम्मेलनों को आयोजित करने में जो करोड़ों-करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, वह उन फायदों से कहीं ज्यादा है जो जमीनी स्तर पर होने वाले असल निवेश के मामले में बंगाल को मिलने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के शासन में बंगाल का आंतरिक कर्ज बहुत ज्यादा बढ़ गया है, और राज्य को ऊपर उठाने का एकमात्र समाधान बड़े उद्योग स्थापित करना है.
शुभेंदु ने कहा कि बंगाल को जो बड़े निवेश मिले हैं, वे केंद्र सरकार के उपक्रमों द्वारा किये गये हैं, चाहे वह एयरपोर्ट, रेलवे, बंदरगाह, सड़कें या पेट्रोलियम सेक्टर हों. उन्होंने राज्य सरकार पर बीजीबीएस से मिले निवेश प्रस्तावों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया और कहा कि हर बार यह फ्लाप शो रहा है.बीजीबीएस को लेकर भाजपा ने पेश किया आंकड़ा
2015निवेश का दावा : 2,43,100 करोड़ रुपये
समझौतों पर हस्ताक्षर : 54मुख्य निवेशक : आइटीसी, एयरटेल भारती, आरपी संजीव गोयनका ग्रुप
सम्मेलन आयोजन पर खर्च : 20–25 करोड़ रुपये2016
निवेश का दावा : 2,50,000 करोड़ रुपयेसमझौतों पर हस्ताक्षर : 90
मुख्य निवेशक : हीरानंदानी ग्रुप, जेएसडब्ल्यूसम्मेलन आयोजन पर खर्च : 25–30 करोड़ रुपये
2017निवेश का दावा : 2,35,000 करोड़ रुपये
समझौतों पर हस्ताक्षर : 110मुख्य निवेशक : चटर्जी ग्रुप, संजीव गोयनका ग्रुप
सम्मेलन आयोजन पर खर्च : 30–35 करोड़ रुपये2018
निवेश का दावा : 2,20,000 करोड़ रुपयेसमझौतों पर हस्ताक्षर : 137
मुख्य निवेशक : रिलायंस, जेएसडब्ल्यू, अंबुजा नेवटिया समूहसम्मेलन आयोजन पर खर्च : 35–40 करोड़
2019निवेश का दावा : 2,84,000 करोड़ रुपये
समझौतों पर हस्ताक्षर : 86मुख्य निवेशक : कोका-कोला
सम्मेलन आयोजन पर खर्च : 40-45 करोड़ रुपये2022
निवेश का दावा : 3,42,000 करोड़ रुपयेसमझौतों पर हस्ताक्षर : 137
मुख्य निवेशक : अदाणी ग्रुप, फ्लिपकार्ट, जेएसडब्ल्यूसम्मेलन आयोजन पर खर्च : 40-45 करोड़ रुपये
2023निवेश का दावा : 3,76,000 करोड़ रुपये
समझौतों पर हस्ताक्षर : 188मुख्य निवेशक : रिलायंस, जेएसडब्ल्यू
सम्मेलन आयोजन पर खर्च : 45-50 करोड़ रुपये2024
निवेश का दावा : 4,40,000 करोड़ रुपयेसमझौतों पर हस्ताक्षर : 212
मुख्य निवेशक : रिलायंस, जेएसडब्ल्यूसम्मेलन आयोजन पर खर्च : 60–67 करोड़ रुपये
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