सीमा पर बांग्लादेशियों की वापसी ने दी घुसपैठ के आरोप-प्रत्यारोप को हवा

बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि एसआइआर के चलते लगभग 150-200 लोग बांग्लादेश लौट रहे हैं, और 20 नवंबर तक लगभग 1,700 लोग सीमा पार कर चुके हैं.

By GANESH MAHTO | November 30, 2025 11:35 PM

कोलकाता. राज्य के हकीमपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिये बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों के अपने देश लौटने का मामला राजनीतिक वाकयुद्ध का विषय बन गया है, जिससे 2026 के विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले मतदाता सूची को सुधारने की निर्वाचन आयोग की एसआइआर कवायद और घुसपैठ को लेकर भाजपा-तृणमूल के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गये हैं.

शुरू में प्रवासियों के स्वदेश लौटने को बहुत अधिक तवज्जो नहीं दी गयी थी, लेकिन अब ये एक राजनीतिक विमर्श बन गया है, जिसने सीमा चौकी को एक ‘वैचारिक युद्धक्षेत्र’ में बदल दिया है, जहां संख्या की तुलना में दृश्य अधिक मायने रखते हैं. उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव में भारत-बांग्लादेश सीमा पर, स्थानीय लोगों और सुरक्षाकर्मियों ने बताया है कि पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के शुरू होने के बाद नवंबर की शुरुआत से ही बिना दस्तावेज वाले बांग्लादेशियों के वापस लौटने की कोशिशों में वृद्धि हुई है.

बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि एसआइआर के चलते लगभग 150-200 लोग बांग्लादेश लौट रहे हैं, और 20 नवंबर तक लगभग 1,700 लोग सीमा पार कर चुके हैं. भाजपा का कहना है कि अपने छोटे-छोटे बैग और बच्चों को थामे जीरो लाइन की ओर बढ़ते लोगों की तस्वीरें पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ के उसके दावे को पुख्ता करती हैं.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा : हम यही तो कह रहे हैं. एसआइआर ने घुसपैठियों को हिलाकर रख दिया है. आखिरकार सच्चाई सामने आ रही है. वे इसलिए जा रहे हैं क्योंकि उन्हें पकड़े जाने का डर है. भाजपा का मानना है कि ये दृश्य उसके इस दावे को पुष्ट करते हैं कि अवैध रूप से बसे बांग्लादेशियों ने दशकों से पश्चिम बंगाल की चुनावी जनसांख्यिकी को बदल दिया है. भाजपा प्रवक्ता केया घोष ने कहा कि बांग्लादेशियों का वापस जाना हमारे दावे को किसी संदेह के परे साबित करता है. उन्होंने कहा : यहां तक कि (मतदाता सूची से) पांच हजार नामों को हटाना भी हमारी बात को साबित करता है.

वहीं, राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने एसआइआर को एक सुनियोजित अभ्यास करार दिया, जिसका उद्देश्य जबरन और राजनीति से प्रेरित कवायद को वैध बनाना है.

तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने दावा किया : हकीमपुर में कुछ भी स्वाभाविक नहीं है. यह 2026 से पहले एक विमर्श गढ़ने और एसआइआर को सही ठहराने के लिए रचा गया एक नाटक है.

तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कृष्णु मित्रा ने राजनीतिक मिलीभगत का आरोप लगाया. उन्होंने पूछा : क्या ये घुसपैठिये बीएसएफ द्वारा दरवाजा खोलने और पत्रकारों को रोजाना बयान देने का इंतजार कर रहे थे? उन्होंने पूछा : अगर वे अवैध प्रवासी हैं, तो एक भी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? दलालों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? श्री मित्रा ने दावा किया कि इस कवायद का उद्देश्य केवल 2026 के चुनावों से पहले एसआइआर की विश्वसनीयता साबित करना और भाजपा के घुसपैठ के दावे को सही ठहराना है.

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