32 हजार प्राथमिक शिक्षकों को हाइकोर्ट से मिली बड़ी राहत, बहाल रहेगी नौकरी

कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने बुधवार को एकल पीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल में 32,000 प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था.

By AKHILESH KUMAR SINGH | December 4, 2025 1:05 AM

फैसला. अदालत ने कहा- भ्रष्टाचार तो हुआ है, पर सभी नियुक्तियां रद्द करना सही नहीं होगा

हाइकोर्ट की डिविजन बेंच ने पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली की एकल पीठ के आदेश को किया खारिज

संवाददाता, कोलकाताकलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने बुधवार को एकल पीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल में 32,000 प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था. इन शिक्षकों की भर्ती पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 2014 के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) पैनल के माध्यम से 2016 में की गयी थी. न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती और ऋतोब्रतो कुमार मित्रा की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कुछ नियुक्तियों में गड़बड़ियां थीं, भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन हाइकोर्ट को नहीं लगता कि इस वजह से सभी की नौकरियां रद्द कर दी जानी चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि नौ साल की सेवा के बाद नौकरी समाप्त होने से प्राथमिक शिक्षकों और उनके परिवारों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. यह कहते हुए खंडपीठ ने 32,000 प्राथमिक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है. हाइकोर्ट ने 2023 के शिक्षक भर्ती फैसले को पलटते हुए नियुक्तियां बहाल रखने का आदेश दिया है. इसमें कहा गया है कि सीबीआइ, जिसे उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया था, ने शुरू में 264 नियुक्तियों की पहचान की थी जिनमें अनियमितताएं हुई थीं, जिसके बाद अन्य 96 शिक्षकों के नाम एजेंसी की जांच के दायरे में आये. अदालत ने कहा कि इसे देखते हुए पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता. अपने आदेश में एकल पीठ ने अनिवार्य योग्यता परीक्षा आयोजित किये बिना शिक्षकों के एक वर्ग की नियुक्ति की संभावना की ओर इशारा किया था, जिस पर खंडपीठ ने कहा कि जांच एजेंसी के पास अभी तक ठोस सबूत नहीं हैं. गौरतलब है कि हाइकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली की सिंगल बेंच ने 12 मई, 2023 को इन 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि कम रैंक वाले कई उम्मीदवारों को पैसे देकर नौकरी दिलायी गयी थी और कई नियुक्तियां उचित साक्षात्कार के बिना या अप्रशिक्षित उम्मीदवारों को की गयी थीं.

नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर क्या-क्या आरोप लगाये गये थे

याचिकाकर्ताओं का दावा था कि नियुक्ति प्रक्रिया में 2016 के रिक्रूटमेंट एक्ट का पालन नहीं किया गया. साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का भी सही से पालन नहीं किया गया. आरोप है कि नियुक्ति प्रक्रिया के लिए कोई चयन समिति का गठन नहीं किया गया. एक थर्ड पार्टी एजेंसी के माध्यम से पैनल बनाया गया था. नियुक्ति प्रक्रिया में एप्टीट्यूड टेस्ट नहीं लिया गया और ना ही इसके लिए कोई गाइडलाइन थी. आरोप है कि कई अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अंक प्रदान कर नौकरियां दी गयीं. ⁠बोर्ड के पास भी कट-ऑफ मार्क्स के बारे में सही जानकारी नहीं थी. और ऐसे अभ्यर्थी भी नौकरी पा गये, जिनके पास न्यूनतम योग्यता नहीं थी. हालांकि, राज्य सरकार और प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज कर दिया था.

क्या है पूरा मामला

प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2014 में अधिसूचना प्रकाशित की गयी थी, इसके बाद टीइटी आयोजित की गयी, उसके आधार पर दो चरणों में कुल 42,500 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. इस नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने 42,500 में से 32 हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरियां रद्द करने का आदेश दिया था.

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