ममता सहयोग करें या नहीं, शरणार्थियों को हम देंगे नागरिकता : विजयवर्गीय

कोलकाता : भाजपा महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहयोग करें तो अच्छा और नहीं करें तो भी अच्छा, लेकिन बंगाल में रहने वाले शरणार्थियों को केंद्र सरकार नागरिकता देगी. विजयवर्गीय ने संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के दूसरे दिन प्रदेश भाजपा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2019 12:43 AM

कोलकाता : भाजपा महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहयोग करें तो अच्छा और नहीं करें तो भी अच्छा, लेकिन बंगाल में रहने वाले शरणार्थियों को केंद्र सरकार नागरिकता देगी.

विजयवर्गीय ने संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के दूसरे दिन प्रदेश भाजपा कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में ममता बनर्जी द्वारा बंगाल में नागरिकता संशोधन विधेयक लागू नहीं होने देने की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए कहा: ममता जी संविधान की सीमा में रहें, अहंकार और कुप्रचार से कुछ नहीं होगा. केंद्र सरकार ने कानून बनाया है. केंद्र ने बांग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता देने का वादा किया है. ममता जी सहयोग करें या ना करें, शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा : ममता जी, आपको मुख्यमंत्री का पद राज्य की जनता ने दिया है.

यदि जनता के हितों की अवेहलना होती है तो कुर्सी छिन जायेगी. उन्होंने कहा : पिछले 70 सालों से बांग्लादेशी शरणार्थियों का इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में किया गया, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने उन्हें नागरिकता नहीं दी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल की जनता से वादा किया था और उन्होंने अपना वादा पूरा किया. शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून पारित हो गया. यह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि इस कानून के पारित होने से तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा का दोहरा चरित्र सामने आ गया है.

संसद में तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन और अभिषेक बनर्जी ने जिस तरह से विधेयक का विरोध किया, उससे साफ है कि तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी, बांग्लादेशी शरणार्थियों राजवंशी, मतुआ, कीर्तनिया आदि को नागरिकता देने के पक्ष में नहीं हैं. तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की जनता को गुमराह किया है, लेकिन इस विधेयक के पारित होने के बाद तृणमूल सहित अन्य विरोधी पार्टियां बेनकाब हो गयी हैं.

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