तृणमूल को उम्मीद, प्रशांत किशोर की नीति से बंगाल में चमकेगा ”ब्रांड ममता”

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि निर्भीक और विरोधियों के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करने वाली नेता की रही है. लेकिन भविष्य में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का रुख नरम दिखाई दें तो चौंकियेगा नहीं. इस बड़े बदलाव की रूपरेखा उनके चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भाजपा का मुकाबला करने के लिए […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 4, 2019 4:31 PM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि निर्भीक और विरोधियों के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करने वाली नेता की रही है. लेकिन भविष्य में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का रुख नरम दिखाई दें तो चौंकियेगा नहीं. इस बड़े बदलाव की रूपरेखा उनके चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भाजपा का मुकाबला करने के लिए तैयार की है, जिसने (भाजपा ने) 2021 विधानसभा चुनाव में ममता के मजबूत किले में बड़ी सेंध लगाने की तैयारी कर ली है.

तृणमूल नेताओं ने कहा कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में 18 पर जीत दर्ज की, जो ममता की पार्टी से महज चार कम है. इससे तृणमूल के अजेय होने का मिथक टूट गया है. टीएमसी मानती है कि राज्य में आक्रामक भाजपा की विचारधारा का सामना करने और पार्टी की छवि सुधारने के लिए ‘पेशेवर मदद’ की जरूरत है.

तृणमूल के वरिष्ठ नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘प्रशांत किशोर की मदद से हमें उम्मीद है कि पार्टी विधानसभा में पुरानी सफलता दोहरायेगी. अगर आपको संगठित और विचारधारा से संचालित भाजपा का मुकाबला करना है, तो आपको मजबूत वैचारिक घेराबंदी या संगठित ढांचे की जरूरत होगी. प्रशांत किशोर यह ढांचा मुहैया करा रहे हैं.’

टीएमसी और आईपीएसी (भारतीय राजनीतिक कार्य समिति) के सूत्रों के मुताबिक 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘चाय पर चर्चा’, बिहार में जदयू के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसी के वाईएस जगन मोहन रेड्डी के लिए सफल चुनाव रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर अब तृणमूल की चुनावी रणनीति बना रहे हैं.

तृणमूल नेता ने कहा कि रणनीति के तहत ममता और अन्य तृणमूल नेता नपी-तुली भाषा में बोल रहे हैं और विरोधियों पर हमला करने एवं विवादित मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने में संयम बरत रहे हैं. राजनीतिक विरोधियों को कार्यक्रम करने की इजाजत दी जायेगी, ताकि यह संदेश जाए कि तृणमूल लोकतांत्रिक मूल्यों पर भरोसा करती है.

तृणमूल नेता ने कहा, ‘यह फैसला किया गया है कि अब टीएमसी न तो कांग्रेस और माकपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की ‘खरीद-फरोख्त’ और न ही उन्हें ‘जबरन पार्टी’ में शामिल कराने की कोशिश करेगी. उधर, भाजपा किशोर को लेकर बेफिक्र है. भाजपा की पश्चिम बंगाल ईकाई के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजमूदार ने कहा कि तृणमूल का किशोर की सेवाएं लेना यह साबित करता है कि ममता बनर्जी का जादू खो चुका है.

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