Dussehra 2018: ढाक की धुन पर श्रद्धालुओं ने देवी दुर्गा, उनके बच्चों को विदाई दी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने ‘बिजोयदशमी’ पर देवी दुर्गा को अश्रुपूर्ण विदाई दी. इसी के साथ हर साल की तरह मायके में पांच दिन तक अस्थायी निवास के बाद देवी दुर्गा अपने धाम कैलाश पर्वत प्रस्थान कर गयीं. दशमी के अनुष्ठानों के बाद मिट्टी निर्मित देवी दुर्गा की मूर्तियों को भव्य […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 19, 2018 8:08 PM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने ‘बिजोयदशमी’ पर देवी दुर्गा को अश्रुपूर्ण विदाई दी. इसी के साथ हर साल की तरह मायके में पांच दिन तक अस्थायी निवास के बाद देवी दुर्गा अपने धाम कैलाश पर्वत प्रस्थान कर गयीं.

दशमी के अनुष्ठानों के बाद मिट्टी निर्मित देवी दुर्गा की मूर्तियों को भव्य तरीकों से सजाये गये पंडालों और घरों से नदियों और अन्य जलाशयों में विसर्जन के लिए ले जाया गया.

महिलाओं ने पान के पत्तों, पान सुपारी, हल्दी और बिल्वपत्रों, जिन्हें ‘देबी बरन’ कहा जाता है, के साथ देवी की अराधना की और उनसे अगले साल फिर आने का अनुरोध किया.

महानगर में बैंड-बाजों व भव्य तरीके से सजायी गयीं झांकियों के साथ मूर्तियों को जुलूस में विसर्जन के लिए हुगली नदी के तटों पर ले जाया गया. इस दौरान ढाक (ढोल) की धुन पर लोग नाच रहे थे.

ढाक एक पारंपरिक ढोल है जो दुर्गा पूजा से जुड़ा हुआ है. मूर्ति विसर्जन आधी रात तक चलेगा क्योंकि ज्यादातर मूर्तियों को हुगली के तट पर बाबूघाट क्षेत्र में ले जाया जा रहा है.

पूरे पश्चिम बंगाल में इसी तरह के अनुष्ठान के साथ मूर्तियों को विसर्जन के लिए नदियों के तटों और अन्य विशाल जलाशयों में ले जाया जा रहा है.

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