जहां रहीम लाते हैं जलभरा कलश, तब होती है दुर्गा पूजा, यहां शेख जहांगीर ने की थी दुर्गा पूजा की शुरुआत

कोलकाता : दुर्गा पूजा के त्योहार की तैयारियां पूरे देश में जोरों पर हैं, मगर बंगाल में इसकी रौनक सबसे अलग होती है. कोलकाता के मुंशीगंज एरिया में इस बड़े उत्सव को मनाने के लिए हिंदू और मुस्लिम साथ आकर सारी तैयारियां करते हैं और पूजा से जुड़ी जिम्मेदारियां आपस में बांट लेते हैं. इसको […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2018 3:07 AM
कोलकाता : दुर्गा पूजा के त्योहार की तैयारियां पूरे देश में जोरों पर हैं, मगर बंगाल में इसकी रौनक सबसे अलग होती है. कोलकाता के मुंशीगंज एरिया में इस बड़े उत्सव को मनाने के लिए हिंदू और मुस्लिम साथ आकर सारी तैयारियां करते हैं और पूजा से जुड़ी जिम्मेदारियां आपस में बांट लेते हैं.
इसको कहते हैं गंगा जमुनी तहजीब, अब दुनिया इतनी सिमट गयी है कि हम सभी एक-दूसरे को बहुत ही नजदीक आ गये हैं. धर्म कोई भी हो मानवता तो एक ही है. असली धर्म तो मानवता ही है. त्योहारों में इस इलाके में कोहिनूर बीबी दुर्गा पूजा की तैयारियों को चेक करती नजर आ जायेंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी दोस्त पुष्पा देवी अकसर कुछ ना कुछ भूल जाती हैं.
मुंशीगंज की यह दुर्गा पूजा जहांगीर पूजा के नाम से विख्यात है. इस पूजा की शुरुआत शेख जहांगीर ने की थी, तभी से इसका यह नाम पड़ा. अब्दुल रहीम कलश लाते हैं, तब शुरू होती है पूजा. जहां मूर्तियों को बनाने की जिम्मेदारी राम पाल पर है. तो जल से भरे कलश को लाने की जिम्मेदारी मोहम्मद अब्दुल रहीम के कंधों पर हैं. रहीम जब तक कलश नहीं लाते, पूजा नहीं शुरू होती. वहीं बलवंत सिंह पूरी व्यवस्था देखनेवाली टीम के सदस्य हैं.
एक तरह से मुस्लिम ही आयोजित करते हैं पूजा, हिंदू सिर्फ मदद करते हैं. यह पूजा बाकी सब जगहों से कई मायनों में अलग है. यहां प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी हो या देवी पर चढ़ने वाले फल और फूलों की व्यवस्था करनी हो, ये सारे काम मुस्लिम करते हैं. पूजा समिति के एक सदस्य विकास राय ने कहा : यह कहना गलत नहीं होगा कि यहां दुर्गा पूजा पूरी तरह मुस्लिम ही आयोजित करते हैं, हम तो बस उनकी मदद करते हैं. सिर्फ हिंदू और मुस्लिम नहीं, बल्कि इलाके की सेक्स वर्कर्स भी आकर पूजा में हिस्सा लेती हैं. आयोजक कहते हैं : हम बिना किसी सामाजिक और धार्मिक भेदभाव के साथ में यह उत्सव मनाने में विश्वास रखते हैं.