देउल डे सेंटर के फिर खुलने का भरोसा, आदिवासी महिलाओं में आस
पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा ब्लॉक के बनकाठी क्षेत्र के घने जंगलों के बीच स्थित गौरांगपुर का देउल डे सेंटर पिछले तीन वर्षों से बंद है.
पानागढ़.
पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा ब्लॉक के बनकाठी क्षेत्र के घने जंगलों के बीच स्थित गौरांगपुर का देउल डे सेंटर पिछले तीन वर्षों से बंद है. इस सेंटर को वर्ष 2020 में तत्कालीन वन मंत्री राजीव बनर्जी ने आदिवासी महिलाओं के स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया था. यहां स्थानीय स्वयंसहायता समूह की महिलाएं साल के पत्तों से ताली, कटोरी सहित विभिन्न हस्तनिर्मित उत्पाद तैयार कर पर्यटकों को बेचती थीं. इससे उनके परिवारों को स्थायी आमदनी मिलती थी और क्षेत्र का पर्यटन विकास भी संभव हो रहा था. लेकिन कोरोना काल की पाबंदियों के कारण यह पहल अचानक रुक गई और तब से सेंटर बंद ही पड़ा है. इसकी वजह से स्थानीय आदिवासी महिलाओं में भारी नाराजगी रही है.स्थानीय महिलाओं की मांग फिर उठी
इलाके की महिलाओं ने एक बार फिर उम्मीद जताई है कि सरकार डे सेंटर को पुनः शुरू करे और क्षेत्र को पर्यटकों के लिए और विकसित बनाए. उनका कहना है कि यदि यह केंद्र फिर से शुरू हो जाए, तो रोजगार का एक मजबूत स्रोत फिर खड़ा हो सकता है और गांव की आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है.वन मंत्री ने दिया पहल का आश्वासन
इस मामले में राज्य की वन मंत्री वीरबहा हांसदा ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही स्थिति की समीक्षा कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. वन मंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदाय के रोजगार को प्राथमिकता दी जाएगी और देउल डे सेंटर को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है.स्थानीय लोगों में उम्मीद का माहौल
वन मंत्री के इस आश्वासन के बाद गौरांगपुर और आसपास के इलाकों में फिर से उम्मीद जगी है कि बंद पड़े सेंटर से आदिवासी महिलाओं को एक बार फिर रोजगार का अवसर मिलेगा और क्षेत्र में पर्यटन को भी नई गति मिल सकेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
