साइबर क्राइम के लिए जामताड़ा तो क्वॉयन गैंग के लिए बीरभूम कुख्यात

नकली प्राचीन सोने की मुद्रा बेच कर लोगों को ठगने के आरोप में पकड़े गये तीन आरोपियों से मिल रही जानकारियों के बाद पुलिस अधिकारी भी हैरान हो गये हैं.

By AMIT KUMAR | September 22, 2025 9:37 PM

आसनसोल/दुर्गापुर/अंडाल.

नकली प्राचीन सोने की मुद्रा बेच कर लोगों को ठगने के आरोप में पकड़े गये तीन आरोपियों से मिल रही जानकारियों के बाद पुलिस अधिकारी भी हैरान हो गये हैं. जांच में एक के बाद एक परतें खुल रही हैं, जो चौंकाने वाली हैं. पिछले 30 से 35 वर्षों से बीरभूम जिला में यह आपराधिक नेटवर्क काम कर रहा है, जो देश के विभिन्न इलाकों में लोगों को नकली सोने की मुद्रा देकर भारी रकम की ठगी कर चुका है. पुलिस के पास इसे लेकर कोई शिकायत नहीं है. ठगी का शिकार होनेवाले अधिकतर लोगों को पता ही नहीं है कि वे नकली मुद्रा के बदले असली रुपये का भुगतान कर चुके हैं. जिन्हें पता भी है, उन्होंने अपनी बेवकूफी व लालच को उजागर करने के बजाय दबा देना ही बेहतर समझा. इसकी वजह से यह गैंग काफी तेजी से फैला और देशभर में अपना नेटवर्क तैयार कर लिया है. अंडाल थाने की पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार बीरभूम जिला के तीन आरोपियों के पास से कुल 480 नकली सोने की प्राचीन मुद्रा और 2.52 लाख रुपये नकद बरामद किया है. यह मुद्रा बनाने के कारखाना की पुलिस तलाश कर रही है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि साइबर अपराध के लिए जिस तरह जामताड़ा कुख्यात हुआ है, उसी तरह क्वॉयन गैंग के लिए बीरभूम जिला बदनाम हो रहा है. पुलिस इस पूरे नेटवर्क को खत्म करने के प्रयास में काम कर रही है. गौरतलब है कि दुर्गापुर थाना क्षेत्र के गोपालमठ फॉर्च्यून पार्क इलाके के निवासी व क्वायन गैंग के हाथों ठगी के शिकार व्यक्ति पिंटू कुमार ओझा की मदद से अंडाल थाना पुलिस ने गैंग के दो सदस्यों शेख असदुल्लाह और मीर अमीरुल को गिरफ्तार किया. दोनों बीरभूम जिला के कल्याणपुर अहमदपुर के निवासी हैं. इनके पास से 200 नकली सोने का प्राचीन मुद्रा और दो लाख नकदी बरामद किया. इसके साथ ही श्री ओझा ने जो 150 मुद्राएं इनसे ली थी, वह भी पुलिस ने जब्त किया. दोनों आरोपियों के निशानदेही पर इनके एक अन्य साथी शेख मेहर अली को पुलिस ने पकड़ा. इसके पास से 130 नकली क्वायन और 50 हजार रुपये जब्त किया है.

पुलिस ने कैसे किया गैंग का भंडाफोड़

पीड़ित श्री ओझा 150 क्वायन के बदले इनलोगों को ढ़ाई लाख रुपये का भुगतान किया. क्वायन की डिलीवरी 15 सितंबर 2025 को बीरभूम जिला के सिउड़ी आइटीआइ कॉलेज के पास हुई थी और यहीं पैसे का भुगतान भी हुआ. श्री ओझा जब क्वायन लेकर सोने की दुकान में जांच करवायी तो सारा नकली निकला. हालांकि इसकी जानकारी उन्होंने बदमाशों को नहीं दी कि क्वायन नकली है. बदमाशों ने श्री ओझा से संपर्क करके और भी क्वायन बेचने की पेशकश की. जिसके बाद श्री ओझा ने पुलिस के साथ मिलकर जाल बिछाया और आरोपी क्वॉयन के साथ अंडाल थाना क्षेत्र में रंगेहाथों पकड़े गये.

कैसे शातिरों के बुने जाल में फंस जाते हैं लोग

पकड़े गये आरोपियों ने खुलासा किया कि इनके पास लाखों लोगों का फोन नम्बर मौजूद है. सुबह से शाम गैंग के सदस्य लोगों को फोन करते हैं और उन्हें यह बताते हैं कि वह एक दिहाड़ी श्रमिक है. घर बनाने के लिए नींव खोदने के दौरान एक पीतल का कलश मिला. जिसमें भारी संख्या में सोने की प्राचीन मुद्राएं मिली. एक मुद्रा जांच के लिए सोने की दुकान पर ले गया, तो पाया कि मुद्रा सोने की है, दुकानदार एक मुद्रा के बदले चार हजार देने की पेशकश की. सोना दुकान पर मुद्रा बेचने से पुलिस में पकड़े जाने का खतरा है. इसलिए आपको बेचना चाहते हैं. आप यदि लेंगे तो दो हजार रुपये करके आपको दे देंगे. अनेकों व्यक्ति इस लालच में फंस जाते हैं. सोने का प्राचीन सिक्का दो हजार रुपये में. वे तुरंत उससे संपर्क करते हैं और उस मुद्रा को देखते हैं. मुद्रा से एक टुकड़ा काटकर जांच भी करते हैं, जिसमें वह सोने का होता है. इसके बाद होता है पूरा खेल.

जांच में सोने का सिक्का बाद में मिलता है नकली

ठगी के शिकार एक पीड़ित व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि जब वे सोने के सिक्के का एक टुकड़ा जांच किये तो वह शुद्ध सोना का निकला. जब वे 150 सिक्कों की डिलीवरी ले रहे थे, उस दौरान गिरोह के छह सात सदस्य इस तरह का माहौल बनाया कि पुलिस पीछा कर रही है. जल्दी से जल्दी सोने का सिक्का लेकर निकल जाएं, अन्यथा मुसीबत में फंस जाएंगे. जो डेढ़ सौ सिक्का लिए गये. उसकी कोई जांच नहीं हुई. हड़बड़ी में सिक्के लेकर निकल गया. जो सारे नकली थे.

नकली सिक्कों को केमिकल में लपेट कर बनाया जाता है पुराना दिखने के लायक

पुलिस ने जो सिक्के बरामद किया है. वह देखने में एकदम प्राचीन सिक्के की तरह है. जैसे सैकड़ो सालों से मिट्टी के अंदर दबी हो. सिक्कों के दोनों ओर कुछ लिपि खुदी हुई है. ये सिक्के कहां बनते हैं? इसका जवाब पुलिस को मिला है. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि ऑर्डर देने पर घर पर आकर डिलीवरी करके जाते हैं. किस धातु के यह सिक्के हैं, इसकी जांच के लिए भेजा गया है. आरोपियों ने बताया कि इनका नेटवर्क पूरे देशभर में फैला हुआ है.

ठगी का शिकार होने के बावजूद लोगों को नहीं होती मामले की पजानकारी

नकली प्राचीन सोने का सिक्का खरीदनेवाले अधिकतर व्यक्ति को पता ही नहीं होता कि वे ठगी के शिकार हो गये हैं. पुलिस के अनुसार सिक्का खरीदने के बाद व्यक्ति इसे काफी संभाल करके लॉकर में बंद करके रख देता है, ताकि इन सिक्कों का उपयोग भविष्य में किसी बड़े काम या जरूरत के समय किया जा सके. कुछ लोग इसे एंटीक क्वायन के रूप में जमा करके रखते हैं. इन सारे लोगों को पता ही नहीं कि वे ठगे गये हैं. एक सोने के सिक्के की कीमत पांच ग्राम होने पर भी 50 हजार रुपये न्यूनतम होगा और एंटीक क्वायन की तो कोई कीमत ही नहीं होती है. वह मुंहमांगी होती है. यह क्वॉयन दो से चार हजार रुपये में कैसे मिल सकता है?

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