न्यू केंदा ओसीपी से निकला जहरीला धुआं, सांस लेना मुहाल

इसीएल के केंदा एरिया के तहत चलने वाली न्यू केंदा कोलियरी में सोमवार को हुई एक घटना ने आस-पास के लोगों में दहशत फैला दी. दोपहर में भारी बारिश के बीच न्यू केंदा ओपन कास्ट प्रोजेक्ट (ओसीपी) से अचानक बड़े पैमाने पर धुआं निकलने लगा, जिससे पूरा इलाका धुंधला हो गया और लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी.

By AMIT KUMAR | September 15, 2025 9:45 PM

जामुड़िया.

इसीएल के केंदा एरिया के तहत चलने वाली न्यू केंदा कोलियरी में सोमवार को हुई एक घटना ने आस-पास के लोगों में दहशत फैला दी. दोपहर में भारी बारिश के बीच न्यू केंदा ओपन कास्ट प्रोजेक्ट (ओसीपी) से अचानक बड़े पैमाने पर धुआं निकलने लगा, जिससे पूरा इलाका धुंधला हो गया और लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इस घटना के बाद, ओसीपी के पास रहने वाले लोग भू-धसान की आशंका से और भी भयभीत हैं. स्थानीय निवासी अमर बरनवाल ने बताया कि वैसे तो ओसीपी से हल्का-फुल्का धुआं हमेशा निकलता रहता है, लेकिन सोमवार को बारिश के कारण आग भड़क उठी और ज़हरीला धुआं पूरे मंडल पाड़ा को ढक लिया.उन्होंने कहा कि इस धुएं में मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें हो सकती हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं.

बरनवाल ने न्यू केंदा क्षेत्र को ””दूसरा झरिया”” बताया, जहां जमीन के नीचे कोयले में आग सुलग रही है. उन्होंने ईसीएल प्रबंधन से मांग की है कि ओसीपी के आसपास रहने वाले लोगों को तुरंत पुनर्वासित किया जाए, वरना कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी ईसीएल की होगी.

दशकों पुरानी आग आज भी सुलग रही

न्यू केंदा कोलियरी के ईसीएल श्रमिकों ने बताया कि यह कोई नई घटना नहीं है. वर्ष 1994 में इसी कोलियरी में आग लगने से एक ही रात में 55 लोगों की मौत हो गयी थी. उन्होंने कहा कि 31 साल पहले लगी वह आग आज भी जमीन के नीचे सुलग रही है, जो समय-समय पर भड़क उठती है

श्रमिकों ने यह भी बताया कि साल 2016 में न्यू केंदा कोलियरी के तीन नंबर पीट के मुहाने से आग की लपटें और धुआं निकलने के बाद कोलियरी को बंद कर दिया गया था.हालांकि, अब ओसीपी में भी आग और धुआं निकलने का सिलसिला जारी है. उनका कहना है कि दशकों से जमीन के अंदर लगी यह आग भू-धसान, आग लगने और धुआं निकलने जैसी घटनाओं का कारण तब बनती है,जब बंद खदान के भीतर ऑक्सीजन जाती है, जिससे धुआं निकलता है, खनन भाषा में इस प्रक्रिया को स्पॉन्टेनियस हीटिंग कहते हैं.

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