मिथुन कोई पॉलिटिकल फिगर नहीं, भाजपा के दबाव में आकर करना पड़ रहा है यह सब

ममता बनर्जी की वजह से एकबार वह राज्यसभा में आये थे, उनके ऊपर वहां कोई कांड हुआ था, इसकी वजह से उन्हें जाना पड़ा, सदस्यता छोड़नी पड़ी.

By GANESH MAHTO | April 21, 2025 12:21 AM

सरकार अपनी नाकामी छुपाना चाहती है, अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को दी जा रही है ज्यादा हवा आसनसोल. मशहूर फिल्मस्टार व आसनसोल के सांसद तथा तृणमूल नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा नेता व फिल्मस्टार मिथुन चक्रवर्ती द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग पर कहा कि मिथुन उनके बहुत अच्छे दोस्त हैं और अच्छे कलाकार हैं, लेकिन कोई पॉलिटिकल फिगर नहीं हैं. उन्हें पॉलिटिक्स में लाया गया है. ना तो वे पार्षद हैं, ना विधायक हैं और ना सांसद हैं. ममता बनर्जी की वजह से एकबार वह राज्यसभा में आये थे, उनके ऊपर वहां कोई कांड हुआ था, इसकी वजह से उन्हें जाना पड़ा, सदस्यता छोड़नी पड़ी. पब्लिक कंजम्प्शन के लिए या भाजपा के दबाव में आकर यदि वह कुछ कह रहे हैं या कहना पड़ रहा है तो इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा. मैं मिथुन के बारे में कभी कुछ नहीं बोलता हूं. मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सांसद ने ये बाते कहीं. गौरतलब है वक्फ बिल को लेकर प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद जिले के कुछ थाना क्षेत्र में हिंसा भड़की, जिसमें कुल तीन लोगों के मरने की आधिकारिक पुष्टि हुई. इस घटना के बाद भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे व लोगों ने घर छोड़कर पलायन किया और मालदह जिले में शरण ली. इस घटना को लेकर पूरे देशभर में चर्चा का माहौल गर्म है. इस बीच मिथुन चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल की परिस्थिति पर यहां सेना उतारने की सिफारिश की है और कहा कि यही स्थिति चलती रही तो यहां राष्ट्रपति शासन लगाना ही पड़ेगा. जिसे लेकर उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से भी अपील की है. श्री चक्रवर्ती के बयान पर पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में सांसद श्री सिन्हा ने कहा कि हिंदू-हिंदू बार-बार क्यों उछाला जा रहा है. वहां पर हिंदू, मुसलमान सभी भारतीय हैं. आधिकारिक तौर पर तीन मौतों की पुष्टि हुई है, जिसमें पिता-पुत्र और एक मुस्लिम व्यक्ति की जान गयी है. यह प्रचार वार हमारे मित्र और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके ग्रुप से ज्यादा फैलाया जा रहा है. यह काफी संवेदनशील मुद्दा है और काफी गहरायी से इसे देखना चाहिए. इस समय ऐसा कुछ न कहना चाहिए और न करना चाहिए, जिससे तनाव बढ़े. अभी जख्मों पर मरहम की जरूरत है. इसे और भड़काने या आग लगाने की जरूरत नहीं है. सरकार अपनी खामियों को छुपाना चाहती है, जिसके कारण बाकी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इन मुद्दों पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है.

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