आय से अधिक संपत्ति मामले में इसीएल के पंप ऑपरेटर को तीन साल की कैद
सजा. आसनसोल स्थित विशेष सीबीआइ अदालत एक के बाद एक मामले में दे रही दंड
वर्ष 2006 में सीबीआइ ने दर्ज किया था मामला, अभियुक्त 1.15 करोड़ रुपये की संपदा का नहीं दे पाया हिसाब
66 लोगों की गवाही व दस्तावेजों के आधार पर मामले में सुनायी सजा, 15 लाख अदा नहीं करने पर छह माह की अतिरिक्त कैदआसनसोल. सीबीआइ की विशेष अदालत आसनसोल के न्यायाधीश अरिंदम चट्टोपाध्याय ने आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में शुक्रवार को इसीएल हरिपुर कोलियरी में पंप ऑपरेटर रहे सुखमय राणा को तीन साल की कैद और 15 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. जुर्माना नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त कैद की की सजा दी. न्यायाधीश श्री चट्टोपाध्याय ने आठ दिनों के अंदर दो मामलों का निष्पादन करते हुए आरोपियों को सजा सुनायी. इस मामले में सरकारी पक्ष के वरिष्ठ लोक अभियोजक राकेश कुमार ने कुल 66 लोगों की गवाही और दस्तावेजों के आधार पर आरोप साबित किया, जिसके आधार पर आरोपी को सजा हुई.क्या है पूरा मामला
वर्ष 2006 में सीबीआइ ने अपने सोर्स इनफॉर्मेशन के आधार पर हरिपुर कोलियरी में पंप ऑपरेटर के पद पर तैनात सुखमय राणा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला आरसी नंबर-07/2006 दर्ज कर जांच शुरू की. सीबीआइ ने कुल 1.15 करोड़ रुपये की एनएससी, केवीपी, बैकों में पैसा बरामद किया. जिसका हिसाब सुखमय नहीं दे पाये. वर्ष 1997 से 2006 तक कुल 16.5 लाख की वैध आय सुखमय ने की थी. बाकी के पैसे कहां से आये, वह नहीं बता पाये. सीबीआइ ने मामले में चार्जशीट पेश किया और लंबे समय तक मामले की ट्रायल चली. शुक्रवार को अदालत ने मामले में सजा सुनायी. सजा तीन साल तक का होने के कारण उच्च न्यायालय में अपील करने को लेकर सीबीआइ अदालत से जमानत हो गयी. 60 दिनों के अंदर यदि अपील नहीं होता है तो फिर उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाला जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
