25 सप्ताह में जन्मे शिशु के हृदय में ”पिकोलो” उपकरण फिट कर चिकित्सकों ने रचा इतिहास
दुर्गापुर हेल्थ वर्ल्ड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने मात्र 25 सप्ताह में जन्मे शिशु के हृदय में अमेरिका निर्मित ‘पिकोलो’ उपकरण सफलतापूर्वक फिट कर एक अद्वितीय उपलब्धि दर्ज की है.
दुर्गापुर.
दुर्गापुर हेल्थ वर्ल्ड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने मात्र 25 सप्ताह में जन्मे शिशु के हृदय में अमेरिका निर्मित ‘पिकोलो’ उपकरण सफलतापूर्वक फिट कर एक अद्वितीय उपलब्धि दर्ज की है. चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह की जटिल प्रक्रिया राज्य में पहली और देश में दूसरी बार की गयी है. यह सर्जरी राज्य सरकार की स्वास्थ्य साथी योजना के तहत की गयी, जिसके लिए चिकित्सा दल ने सरकार का आभार जताया. बुधवार को अस्पताल प्रबंधन ने इस उपलब्धि की जानकारी दी.मामला कैसे शुरू हुआ
अगस्त में बांकुड़ा के शुशुनिया निवासी पिंटू मंडल की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर उन्हें गांधी मोड़ स्थित हेल्थ वर्ल्ड अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्होंने समय से पहले मात्र 25 सप्ताह में शिशु को जन्म दिया. जन्म के बाद शिशु के हृदय में एक रक्त वाहिका बंद नहीं हो पायी, जिससे रक्त प्रवाह फेफड़ों में जाने लगा और शिशु को सांस लेने में गंभीर दिक्कत होने लगी. दवा से सुधार नहीं होने पर चिकित्सा टीम ने सर्जरी का निर्णय लिया.
जटिल सर्जरी की चुनौती
सर्जरी का जिम्मा हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ नुरुल इस्लाम को दिया गया. जांच में पता चला कि शिशु का वजन जन्म के कुछ समय बाद 710 ग्राम तक रह गया था और हृदय में ‘डक्टस आर्टेरियोसस’ नामक रक्त वाहिका खुली हुई थी. अत्यंत नाज़ुक अवस्था को देखते हुए, जांघ की नस के माध्यम से ‘पिकोलो’ नामक अत्यंत सूक्ष्म उपकरण को प्रभावित वाहिका में फिट किया गया. यह प्रक्रिया अत्यंत सूक्ष्म कौशल की मांग करती है. चिकित्सकों ने बताया कि इससे पहले ऐसी प्रक्रिया केवल पुणे में की गई थी. लगभग ढाई महीने के इलाज के बाद शिशु का वजन एक किलो से अधिक हो गया है और अब उसे सांस लेने में कोई समस्या नहीं है. दो दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी मिलने की संभावना है.
सर्जरी के बाद चिकित्सकीय देखभाल
हृदय संबंधी प्रक्रिया के बाद शिशु की देखभाल में डॉ सौम्यदीप विश्वास के नेतृत्व में डॉ अनिर्बान बसु, डॉ संजीव तिवारी, डॉ एसपी मांझी, डॉ. देबाशीष घोष सहित अन्य चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ शामिल रहे. टीम ने शिशु को श्वसन सहायता, संक्रमण रोकथाम और भोजन संबंधी चुनौतियों से उबरने में सहयोग दिया. स्वास्थ्य साथी योजना के कारण परिवार पर आर्थिक भार नहीं पड़ा.
अस्पताल परिसर में इस सफलता को चिकित्सा उपलब्धि और आधुनिक तकनीक के प्रभावी उपयोग का उदाहरण बताया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
