ममता सरकार से इस्तीफे की मांग
मार्च का नेतृत्व पश्चिम बर्दवान जिलाध्यक्ष देवतनु भट्टाचार्य ने किया.रैली में शामिल भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए तृणमूल कांग्रेस को पूरे घोटाले के लिये जिम्मेदार ठहराया.
शिक्षक नियुक्ति घोटाले पर भाजपा का हल्लाबोल आसनसोल. पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति घोटाले को लेकर शुक्रवार को भाजपा ने राज्य सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा ने आसनसोल में आश्रम मोड़ से डीआई कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला. मार्च का नेतृत्व पश्चिम बर्दवान जिलाध्यक्ष देवतनु भट्टाचार्य ने किया.रैली में शामिल भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए तृणमूल कांग्रेस को पूरे घोटाले के लिये जिम्मेदार ठहराया. भाजपा नेताओं का कहना है कि 2016 की एसएससी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ. इसी कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. ‘भ्रष्टाचार ने छीनी योग्य शिक्षकों की नौकरी’ ः देवतनु भट्टाचार्य ने कहा कि इस फैसले से हजारों योग्य शिक्षक अपनी नौकरियों से वंचित हो गये हैं. तृणमूल सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों की मिलीभगत से अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी दिलायी गयी, जबकि योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस घोटाले का मुख्य जिम्मेदार बताते हुए नैतिक आधार पर तत्काल इस्तीफा देने की मांग की. उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक योग्य अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिलेगा, भाजपा का विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. रैली के दौरान भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष अभिजीत राय, अरिजीत राय, सुदीप राय चौधरी, बप्पा आचार्य सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे. ‘सरकार मूल्यांकन में असफल रही’ ः भट्टाचार्य ने बताया कि हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों का मूल्यांकन कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. लेकिन सरकार ऐसा करने में विफल रही. यदि सही मूल्यांकन हुआ होता तो तृणमूल के कई मंत्री बेनकाब हो जाते. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अब 26 हजार शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द कर दी गयी हैं. डीआइ कार्यालय के बाहर हंगामा विरोध प्रदर्शन के दौरान डीआइ कार्यालय के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया गया, जिससे सुकांत मैदान स्थित नगर निगम के हेल्थ विभाग के कर्मियों को बाहर निकलने में दिक्कत हुई. मौके पर पहुंचे एक पुलिस अधिकारी ने जमीन से चाबी उठाकर ताला खोला, तब जाकर हेल्थ कर्मी बाहर निकल सके. हेल्थ विभाग के अधिकारियों ने इस व्यवधान पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि वे जामुड़िया से कुल्टी तक 30 हेल्थ सेंटर की मॉनिटरिंग करते हैं और उनका काम इमरजेंसी सेवा से जुड़ा है. ऐसे में उन्हें इस तरह रोकना अनुचित था. अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने पुलिस से कई बार अनुरोध किया लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी.
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