बालू लदे वाहनों से पुल व रास्ते बदहाल, सड़क पर ग्रामीण
प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि रानीगंज के तीराट घाट पर अवैध रूप से बालू निकाला जा रहा है. इनमें ईसीएल का बालू उत्खनन कार्य भी शामिल है.
रानीगंज. रानीगंज प्रखंड अंतर्गत तीराट ग्राम पंचायत क्षेत्र स्तिथ दामोदर नदी से बालू उत्तोलन कर ट्रांसपोर्टिंग करने वाले कंपनी के विरुद्ध अंचल के महिला पुरुषों का लगातार विरोध किया जा रहा है. बालू लदे भारी वाहनों के परिवहन से ग्राम की जर्जर सड़कें और ब्रिटिश काल का कमजोर होती हाड़ाभांगा खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है, लेकिन कथित तौर पर सभी स्तरों पर इस समस्या पर चुप्पी साधी हुई है. इससे नाराज ग्रामीण तीराट घाट पर बालू खनन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर सड़कों की मरमत की मांग किया. प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि रानीगंज के तीराट घाट पर अवैध रूप से बालू निकाला जा रहा है. इनमें ईसीएल का बालू उत्खनन कार्य भी शामिल है. इसके अतिरिक्त, आसनसोल के एक व्यक्ति को भी बालू निकालने की अनुमति मिली है. पर सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए, रानीगंज क्षेत्र से 10 चक्का, 16 चक्का और 18 चक्का ट्रकों में 40 से 50 टन बालू की ढुलाई की जा रही है, जबकि ग्रामीण सड़कों की क्षमता केवल 10 से 20 टन है. इस कारण ग्रामीण सड़कें पूरी तरह से नष्ट हो गयी हैं. सबसे चिंताजनक स्थिति हाड़ा भांगा पुल की है. ब्रिटिश काल का यह पुल पहले से ही जर्जर अवस्था में है और कई मानसून झेल चुका है.भारी बालू से भरे ट्रकों की लगातार आवाजाही ने पुल की स्थिति को और भी नाजुक बना दिया है, जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि मानसून से पहले इस पुल की मरम्मत नहीं की गई, तो इन भारी वाहनों के कारण 10-12 गांवों का यातायात पूरी तरह से ठप हो जाएगा. अवैध बालू खनन के तौर-तरीकों पर भी सवाल उठाए गए हैं. जानकारी के अनुसार, बालू से लदे इन वाहनों में बालू सिर्फ दामोदर नदी से नहीं, बल्कि पुरुलिया जिले की एक अन्य नदी से भी आती है, हालांकि, सरकारी कागजों में बांकुड़ा जिले के सालतोड़ा प्रखंड के शालमा ग्राम पंचायत अंतर्गत साहेबडांगा स्तिथ दामोदर नदी से बालू निकासी दिखाई जाती है, जबकि इसकी ढुलाई रानीगंज प्रखंड के तिराट ग्राम पंचायत क्षेत्र की ग्रामीण सड़कों से भारी वाहनों द्वारा की जा रही है.यह भी आरोप है कि बालू कारोबारी ट्रैक्टरों के माध्यम से एक अलग घाट से भी रेत निकलवा रहा है, जिसमें स्थानीय व्यक्ति भी कथित रूप से शामिल है. स्थानीय स्तर पर बालू की अवैध बिक्री भी धड़ल्ले से जारी है. एक ग्राहक बनकर पहुंचे व्यक्ति से बातचीत में पता चला कि स्थानीय स्तर पर 3,200 रुपये प्रति ट्रॉली बालू बेची जा रही है.चालान के साथ बालू लेने पर इसकी कीमत 4,000 रुपये बताई गई, जो कई लोगों के लिए महंगी होने के कारण वे बिना चालान के ही बालू खरीदने को मजबूर हैं. अनुमान है कि यहां से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां बालू भरकर आसनसोल और आसपास के इलाकों में जाती हैं. आरोप यह भी है कि कई ट्रैक्टरों की वहन क्षमता को दोगुना कर दिया गया है ताकि ओवरलोड रेत की ढुलाई की जा सके. इन सभी अनियमितताओं के खिलाफ क्षेत्र की महिलाओं ने एकजुट होकर बालू-परिवहन करने वाले वाहनों को रोककर अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. उन्होंने नदी से अवैध बालू निकासी, जर्जर सड़कों और हाड़ाभांगा पुल की खराब स्थिति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उनकी मुख्य मांग थी कि स्थानीय बेरोजगार युवाओं को भो रोजगार दिया जाए और ग्रामीण सड़कों की तत्काल मरम्मत कराई जाए. उन्होंने स्थानीय प्रशासन और पंचायत को इस स्थिति से अवगत करा दिया है, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पुल की जल्द मरम्मत नहीं की गई तो वे भविष्य में इससे भी बड़ा आंदोलन करेंगे और पुल से भारी वाहनों का गुजरना पूरी तरह से बंद कर देंगे.
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