आसनसोल डीआरएम दफ्तर में ओएस पद के अफसर को तीन साल की कैद
सीबीआइ की विशेष अदालत आसनसोल के न्यायाधीश अरिंदम चट्टोपाध्याय ने गुरुवार को भष्टाचार के एक मामले में आसनसोल डीआरएम कार्यालय में कार्यालय अधीक्षक (ओएस) के पद पर रहे शंभुनाथ सरकार को तीन साल की कैद और आइपीसी की धारा 120बी/420 तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(2) में अलग-अलग दस-दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी.
आसनसोल.
सीबीआइ की विशेष अदालत आसनसोल के न्यायाधीश अरिंदम चट्टोपाध्याय ने गुरुवार को भष्टाचार के एक मामले में आसनसोल डीआरएम कार्यालय में कार्यालय अधीक्षक (ओएस) के पद पर रहे शंभुनाथ सरकार को तीन साल की कैद और आइपीसी की धारा 120बी/420 तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(2) में अलग-अलग दस-दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. आरोपी का एक सहयोगी रहा ऑटो चालक मोहम्मद रियाज को भी इस मामले में एक साल की कैद और दो हजार रुपये जुर्माना हुआ. सरकारी पक्ष के वरिष्ठ लोक अभियोजक राकेश कुमार ने कुल 19 गवाहों की गवाही और अन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों का आरोप को साबित किया, जिसके उपरांत यह सजा हुई. आरोपी संभुनाथ ट्रायल के दौरान अदालत के उपस्थित नहीं होने के कारण उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था, जिसके उपरांत उसे एक माह पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसके बाद गुरुवार को अदालत ने सजा सुनायी.क्या है पूरा मामला
इस मामले के शिकायतकर्ता महाराष्ट्र राज्य के निवासी विलास कलेल ने शिकायत की थी कि यहां के गरीब किसानों के करीब एक दर्जन युवकों को मंत्री कोटे से रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर आसनसोल डीआरएम ऑफिस में तैनात ओएस संभुनाथ ने खाते में और नकदी करीब 62 लाख रुपये लिया था. यह पैसा वर्ष 2011-12 के दौरान लिया गया. आसनसोल, धनबाद आदि इलाकों में युवकों को बुलाकर पैसा लिया गया. आधा से अधिक पैसा बैंक अकाऊंट में लिया गया. तीन साल तक भटकने के बाद भी जब नौकरी और पैसा नहीं मिला तो सीबीआइ में शिकायत की. मामला कोलकाता रीजन का होने के कारण महाराष्ट्र से इसे कोलकाता सीबीआइ (एसीबी) को भेज दिया गया. जांच में पाया गया कि जिस खाते में पैसा लिया गया था वह एक ऑटो चालक का था. फिर पूछताछ में सारी सच्चाई सामने आ गया. 19 लोगों ने आरोपियों के खिलाफ गवाही दी. जिसके आधार पर केस मजबूत हुआ. नौ साल तक सुनवायी व ट्रायल चलने के बाद गुरुवार को सजा सुनायी गयी.विलास ने सीबीआइ को बताया कि वे लोग रेलवे में नौकरी के लिए विभिन्न जगह परीक्षा देने जाते थे. इसी दौरान संभुनाथ से परिचय हुआ. उसने कहा कि परीक्षा देने की जरूरत नहीं है, मंत्री कोटा में नौकरी करवा देगा. उसके झांसे में आकर पैसे दिया. उसके साथ-साथ अनेकों ने पैसे दिया था. उसके बाद इसकी सच्चाई सामने आयी. जिसके उपरांत शिकायत की गयी.
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