मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम

अधिष्ठाना यूरो-गाइनी केयर की पहल, युवतियों और महिलाओं को दी गयी अहम जानकारी

By GANESH MAHTO | May 29, 2025 12:33 AM

दुर्गापुर. विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर अधिष्ठाना यूरो-गाइनी केयर की ओर से मंगलवार को एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में युवतियों और महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी अहम जानकारियां दी गयीं.

मौके पर उपस्थित डॉ ईशा सुद्रानिया ने बताया कि महिलाओं और किशोरियों को मासिक धर्म के दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इस विषय को लेकर उनमें झिझक और संकोच अब भी बना हुआ है. ऐसे में उन्हें जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है, ताकि वे खुलकर इस विषय पर बात कर सकें और सही जानकारी प्राप्त कर सकें.

उन्होंने कहा कि इस दिवस का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म से जुड़ी गलत अवधारणाओं को दूर करना और महिलाओं व किशोरियों को मासिक धर्म प्रबंधन की सही जानकारी देना है.

मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन है जरूरी

उन्होंने महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा कि मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन बेहद आवश्यक है. लड़कियों को मासिक धर्म को एक प्राकृतिक प्रक्रिया मानते हुए इसे सहज रूप से अपनाना चाहिए. उन्होंने सलाह दी कि घर में रखे पुराने गंदे कपड़े का उपयोग न करें, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा होता है. छह घंटे के अंतराल पर सैनिटरी नैपकिन बदलें और समय-समय पर प्राइवेट पार्ट की सफाई करें. इस दौरान संतुलित और सुपाच्य आहार लेना भी जरूरी है.

संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता अनिवार्य

डॉ सुद्रानिया ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान सफाई न रखने से महिलाएं मूत्र मार्ग संक्रमण, प्रजनन तंत्र संक्रमण, फंगल इन्फेक्शन, त्वचा पर रैशेज और खुजली जैसी समस्याओं का शिकार हो सकती हैं. यदि लंबे समय तक इन बातों की अनदेखी की जाये तो नलिकाएं ब्लॉक हो सकती हैं, जिससे बांझपन और यहां तक कि सर्वाइकल कैंसर तक होने की आशंका बढ़ जाती है.

स्कूल और घर बनें संवाद की जगह

डॉ सुद्रानिया ने कहा कि मासिक धर्म के बारे में जानकारी देने की सबसे उपयुक्त जगह स्कूल हैं, जहां इस विषय को यौन शिक्षा और स्वच्छता से जोड़कर समझाया जा सकता है. इसके अलावा, घर में बच्चियों की मां को भी अपनी सोच में बदलाव लाकर इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए, ताकि बेटियों को किसी के सामने शर्मिंदगी न झेलनी पड़े. बच्चियों को भी अपनी मां, बहन या परिवार के अन्य बड़े सदस्यों से इस विषय पर संवाद करना चाहिए.

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