चैत्र नवरात्र शुरू, घोड़े पर आई मां दुर्गा

पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग, एक रवि पुष्य योग का संयोग कष्ट निवारण के लिए सर्वाबाधा विधि मुक्ति पाठ जरूरी आसनसोल : आठ शुभ संयोगों से सुभोति चैत्र नवरात्र शनिवार से शुरु हो गई. इस साल इसमें पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग और एक रवि पुण्य योग का शुभ संयोग बना है. इन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 7, 2019 1:45 AM

पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग, एक रवि पुष्य योग का संयोग

कष्ट निवारण के लिए सर्वाबाधा विधि मुक्ति पाठ जरूरी
आसनसोल : आठ शुभ संयोगों से सुभोति चैत्र नवरात्र शनिवार से शुरु हो गई. इस साल इसमें पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग और एक रवि पुण्य योग का शुभ संयोग बना है. इन संयोगों में माता की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी. इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी से हुआ है जो राज्य में भय एवं युद्ध देने वाली है. रविवार को विसर्जन होने से भैंसे पर बैठकर माता जायेंगी, जिसके कारण अधिक बारिश होगी.
नवरात्रि के पहले दिन अधिकांश हिंदू घरों में कलश स्थापना की गई. यह ब्रह्मांड का प्रतीक है. इसे घर की शुद्धि और खुशहाली के लिए पवित्र स्थान पर रखा गया. नवरात्रि ज्योति भी जलाई गई, जो घर और परिवार में शांति का प्रतीक है. इसलिए नवरात्रि पूजा शुरु करने से पहले देसी घी का दीपक जलाया गया. इससे नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद मिलती है. भक्तों में मानसिक संतोष बढ़ता है. नवरात्रि में घर में जौ की बुवाई की गई. मान्यता है कि जौ इस सृष्टि की पहली फसल थी. इसीलिए इसे हवन में भी चढ़ाया जाता है. वसंत ऋतु में आने वाली पहली फसल भी जौ ही है.
स्थानीय शनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित तुलसी तिवारी ने कहा कि दुर्गा सप्तशती शांति, समृद्धि, धन और शांति का प्रतीक है, और नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ करना सबसे अधिक शुभ कार्य माना जाता है. उन्होंने कहा कि शनिवार को घटत्पन, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजा की गई. सात अप्रैल को माता ब्राह्मचारिणी पूजा, आठ अप्रैल को चन्द्र घंटा पूजा, नौ अप्रैल को कुष्मांडा की पूजा, 10 अप्रैल को नाग पूजा और स्कंदमाता की पूजा, 11 अप्रैल को कात्यायनी की पूजा, 12 अप्रैल को कालरात्रि की पूजा, 13 अप्रैल को महागौरी की पूजा और संधि पूजा तथा 14 अप्रैल नवरात्र व्रत का पारण प्रात : 6.01 के बाद दशमी में किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि चैती माह के वासंतिक नवरात्र के अनुष्ठान शनिवार को कलश स्थापन के साथ आरंभ हो गया. इस दिन भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की उपासना भक्तों ने की. उन्होंने कहा कि भगवती का आगमन घोड़ा पर हुआ है तो विदाई भैसा पर होगा. भगवती का आगमन व विदाई दोनों कष्टदायक है. इसके निवारण के लिए सर्वाबाधा विधि मुक्ति पाठ जरूरी है.

Next Article

Exit mobile version