सांसद बाबुल सुप्रियो के गोद लिये गांव में ग्रामीण खुले में शौच को विवश

दूसरे वर्ष ही दम तोड़ दिया मत्स्य पालन प्रोजेक्ट योजना ने गांव में सीधाबाड़ी में पानी के लिए रोजाना ग्रामीणों के बीच होता है संघर्ष ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के उद्देश्यों को हासिल करने में पूरी विफलता आसनसोल : ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ (एसएजीवाई) के तहत सांसद बाबुल सुप्रियो के गोद लिये गांव सीधाबाड़ी के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 30, 2019 12:56 AM
  • दूसरे वर्ष ही दम तोड़ दिया मत्स्य पालन प्रोजेक्ट योजना ने गांव में
  • सीधाबाड़ी में पानी के लिए रोजाना ग्रामीणों के बीच होता है संघर्ष
  • ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के उद्देश्यों को हासिल करने में पूरी विफलता
आसनसोल : ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ (एसएजीवाई) के तहत सांसद बाबुल सुप्रियो के गोद लिये गांव सीधाबाड़ी के ग्रामीण अब भी खुले में शौच करते है और पेयजल के लिए रोजाना आपस में लड़ते-भिड़ते हैं.
यह गांव सालानपुर प्रखण्ड के देंदुआ ग्राम पंचायत अंतर्गत है. हालांकि श्री सुप्रिय ने एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि से विकास कार्यों को अंजाम दिया है. लेकिन सांसद आदर्श ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य सफल नहीं हो सका.
ग्रामीणों के आर्थिक और सामाजिक जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं हुआ जिससे वे अपने आप को आदर्श गांव के ग्रामीण के रूप में दूसरों के लिए मिशाल पेश कर सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीणों की जीवनशैली में सुधार कर दूसरों के लिए आदर्श गांव बनाने के लिए योजना बनाई थी.
गांवों के सामग्रिक विकास के लिए एसएजीवाई 11 अक्तूबर, 2014 को आरम्भ किया गया. इसके तहत राज्यसभा और लोकसभा के हर सदस्य को एक-एक गांव को चिन्हित कर उसे गोद लेना था तथा वर्ष 2016 तक उसे आदर्श गांव के रूप में स्थापित करना था.
गांव के सभी लोगों की बुनियादी सुविधाएं, आजीविका के बेहतर अवसर, असमानताओं को कम करने, स्थानीय स्तर पर विकास करने, गांव को स्थानीय विकास के ऐसे केंद्र के रूप में विकसित करने की बात शामिल थी, जो अन्य गांव को प्रशिक्षित कर सके.
आदर्श गांव को विकसित करने के लिए सांसद के नेतृत्व, क्षमता, प्रतिबद्धता और ऊर्जा का उपयोग कर स्थानीय स्तर पर विकास के लिए समुदाय को जोड़ना और प्रेरित करना था.
गांव में सांसद ने किये जो कार्य
गांव में 35 लाख रुपये की लागत से चार पीसीसी सड़क, 21.75 लाख की लागत से पक्की सड़क, पांच लाख रुपये की लागत से हाई ड्रेन, 13.76 लाख रुपये की लागत से तीन पाइप लाइन सह सबमर्सबल पंप, 7.46 लाख की लागत से 30 सोलर स्ट्रीट लाइट पोस्ट, 14. 17 लाख की लागत से तीन सोलर हाई मास्क लाइट, 6.5 लाख रुपये की लागत से सेल्फ हेल्प ग्रुप के सदस्यों के लिए एक भवन, दो लाख रुपये से स्थानीय प्राथमिक स्कूल में मेज, कुर्सी, टेबल, डीवीसी के सीएसआर फंड से लोगों के घरों में शौचालय, पिकनिक स्पॉट पर सामूहिक शौचालय, गांव के बेकार युवकों को मछली पालन के लिए सीआईएसएफआरवाई के सहयोग से प्रशिक्षण प्रोजेक्ट शुरू किया.
मछली पालन प्रोजेक्ट दो वर्ष पहले समाप्त
स्थानीय बेरोजगार ग्रामीणों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए मछली पालन का प्रोजेक्ट शुरू किया गया. इसमें डैम के पानी में 16 कमरों वाले लोहे की जाली में मछली पालन करना था.
पहली बार मछली और मछली का खाना सांसद ने मुहैया कराया. जिसे बेच कर युवकों को दो लाख रुपये प्राप्त हुए. दूसरी बार इस पैसे से पुनः मछली छोड़ा गया. लेकिन यहां घाटा होने से यह प्रोजेक्ट युवकों ने बन्द कर दिया.
पेयजल के लिए होती है मारामारी
गांव में महालीपाड़ा, नीचूपाड़ा और मशीलाथान मोड़पाड़ा है. यहां पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए तीन सबमर्सबल पंप लगा कर टंकी और पाइप लाइन लगाई गई.
लेकिन पानी की समस्या जस की तस है. ग्रामीण पीएचईडी के पानी पर ही आश्रित है. पानी के लिए गांव में प्रतिदिन आपस मे लड़ाई आम बात है. नीचुपाड़ा में लड़ाई को लेकर सांसद द्वारा पानी लाइन को बंद कर दिया गया है.
खुले में शौच करते हैं ग्रामीण
सांसद आदर्श गांव के लोग अब भी खुले में शौच करते है. गांव के दर्जनों लोग ऐसे हैं जिनके घरों में शौचालय नहीं है. आर्थिक रूप से पिछड़े होने के कारण शौचालय बनाने में समर्थ नहीं है.
स्थानीय ग्रामीण टीकाराम सेन, परिमल सेन, मंगल दत्त, डोमन दत्त, सागर दत्त, लखीराम टुडू, आंनद बास्की ऐसे अनेकों लोग है जिनके घरों में शौचालय नहीं है और यह लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

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